देश की गिरती अर्थव्यवस्था पर अपनी सरकार का बचाव करने वाले प्रधानमंत्री मोदी 6 साल पहले UPA सरकार को अर्थव्यवस्था सुधारने की सीख देते थे। अब भारत की गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई पर वो जनता से क्या कहेंगे?
साल 2013 में जब भाजपा विपक्ष में थी तब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश की अर्थव्यवस्था की चिंता सता रही थी। उन्होनें जुलाई 2013 में ट्वीट किया कि, “ऐसा लगता है कि UPA सरकार और रूपए एक दूसरे के साथ प्रतियोगिता में हैं की कौन ज़्यादा गिरेगा।”
UPA Government and the Rupee seem to be in a competition with each other on who will tumble down more. http://t.co/Rl8RMMJ9kZ
— Narendra Modi (@narendramodi) July 24, 2013
अब शायद प्रधानमंत्री मोदी को रूपए की गिरती कीमत पर उतनी चिंता नहीं है। या फिर शायद उन्हें अब उतना देशप्रेम नहीं रहा जितना पहले था। तभी उन्होनें ना तो रूपए की गिरती कीमत पर कुछ ट्वीट किया और ना ही उसके हालात सुधारे।
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इस अगस्त महीने में भारत का रूपए पूरे एशिया का “वर्स्ट-परफार्मिंग करंसी” बन गया। 22 अगस्त को आई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बीते 21 दिनों में रूपए में 3.9% की गिरावट आयी है।
प्रधानमंत्री मोदी को शायद इस बात की भी चिंता नहीं होगी की देश में अलग-अलग सेक्टरों में लोगों की नौकरियां छीनी जा रही है। पार्ले-जी जैसी जानी-मानी कंपनियां ठप पड़ रही हैं, मिड-डे मील में बच्चों को खाने के बजाए नमक दिया जा रहा है, ऑटो-सेक्टर और कताई उद्योग बर्बाद हो रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी तो चिंता जताने के बजाए लोगों को ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी के सपने दिखा रहे हैं।