”इस देश के हिंदू समाज के लिए जितना संदेहास्पद है मुसलमान का होना उससे ज्यादा अभिशाप है भारत में बिहारी” ये वाक्य युवा कवि अरुणाभ सौरभ की कविता ‘वो स्साला बिहारी’ का है।
भारत में जिस तरह मुसलमान होने का मतलब पाकिस्तान परस्त होना होता है वैसे ही बिहारी होने का मतलब चोर, चीलड़, पॉकेटमार होना होता है। महानगरों में तो हर बिहारी को संदेहास्पद समझा जाता है। और यही वजह है कि पलायनवाद के शिकार बिहारी देश के विभिन्न राज्यों में निशाना बनाए जाते हैं।
महाराष्ट्र और असम के बाद अब गुजरात में भी उत्तर भारतीयों, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों पर हमला किया जा रहा है। उन्हें राज्य से बाहर करने की कोशिश की जा रही है। दरअसल 28 सितंबर को साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर कस्बे के पास एक गांव में 14 माह की बच्ची से कथित तौर पर बलात्कार हुआ था।
इस रेप का आरोप बिहार के रहने वाले रविंद्र साहू नाम के मजदूर पर लगा है। रविंद्र साहू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अब गुजरात में सभी बिहारियों के खिलाफ भयावह हिंसा का माहौल बन गया है।
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ये लॉजिक समझ से बाहर है कि आखिर किसी व्यक्ति के कथित अपराध की सजा पूरी कम्युनिटी को कैसे दी जा सकती है? इस लॉजिक के हिसाब से तो पूरे गुजरात को बलात्कारी माना जाना चाहिए क्योंकि बलात्कारी आसाराम गुजरात का रहने वाला है।
इस मामले में सरकार और प्रशासन की चुप्पी को क्या बिहारियों के खिलाफ हो रही घटनाओं में मौन समर्थन समझा जाए? मोदी जी के गुजरात में शासन, प्रशासन नाम की कोई चीज है या नहीं? क्या गुजरात में अदालत की जगह जनता तय करती है सजा?
पीएम मोदी वोट लेते समय तो भोजपुरी बोलने लगते हैं लेकिन अभी मौन हैं। उनके राज्य के लोग बिहारियों के साथ भयानक हिंसा की जा रही है।
मैं भी उत्तर प्रदेश से हुन मेरे के अपनों को बुरी तरह से मारा गया है में एक सवाल मोदी जी करता हूँ अगर ये हिंसा खत्म नही तो तुम्हरा राजस्व खतरे में होगा देखना मोदी जी जिटन्स भी गुजराती बिहार और उत्तर भारत प्रदेश बे है उनके साथ भी यही दोहराया जाएगा
Ab up bihar dikhaygi 2019 chunav mai, jaisi kerni waisi bharni