भारत की जनता को एक नया काम मिला है, स्लोगन में स्वर्ग ढूंढने का काम। पीएम मोदी हर रोज कोई नया स्लोगन गढ़ते हैं और जनता उस स्लोगन में स्वर्ग ढूंढने लगती है। ऐसा ही एक स्लोगन है ‘न्यू इंडिया’
अपने कथित स्वर्णिम इतिहास पर छाती फूलाने वाले ‘न्यू इंडिया’ का नारा क्यों दे रहे हैं? यानी स्वर्णिम इतिहास मे कुछ गड़बड़ था या ‘न्यू इंडिया’ का नारा जुमला है!
ख़ैर, पीएम द्वारा ‘न्यू इंडिया’ का नारा देने के बाद इंडिया में कितना कुछ नया हुआ है उसपर एक नजर डालता हैं। भारत के तीन स्तंभ यानी विद्यार्थी, शिक्षक और किसान की क्या है हालत?
विद्यार्थी-
पीएम ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि वो हर साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे। यानी अभी तक आठ करोड़ युवाओं को रोजगार मिल जाना चाहिए था जोकि नहीं मिला है। इतना ही नहीं पिछली सरकार हर साल जितना रोजगार देती थी उससे भी कम मिला है।
प्रतियोगिता परीक्षा जैसे SSC की तैयारी करने वाले छात्र आज सड़क पर हैं और SSC का श्राद्ध कर रहे हैं। दिल्ली समेत पूरे देश में गत 27 फरवरी से छात्र लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) की तैयारी करने वाले इन छात्रों का आरोप का है इनकी परीक्षा निष्पक्षता के साथ नहीं करायी जाती है। पेपेल लीक से शुरू हुए इस मामले अब कई धांधली सामने आ चुकी है। छात्रों की मांग है कि एसएससी पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से करायी जाए।
27 फरवरी से ही धरने पर बैठे इन छात्रों ने 9वें दिन एसएससी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए एसएससी का श्राद्ध किया। बकायदा पंडित ने हवन कर श्राद्ध की रस्म अदा की। साथ ही छात्रों ने नाई से अपना मुंडन भी करवाया। छात्रों में 9वें दिन काफी आक्रोश देखने को मिला। ये धरना प्रदर्शन आज भी जारी है लेकिन सरकार चैन की नींद सो रही है।
सत्तासीन नेतागण छात्रों को भरोसा दिलाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन छात्रों का कहना है कि अब वो जुमलों में नहीं आने वाले। जब तक SSC धांधली को लेकर कोई ठोस परिणाम नहीं आते छात्रों का प्रदर्शन जारी रहेगा।
शिक्षक-
पीएम मोदी के ‘न्यू इंडिया’ में भारत के भविष्य को तैयार करने वाले शिक्षकों की हालत भी दयनीय है। 13 जनवरी 2108 को बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के भोपाल में महिला अध्यापकों सरेआम अपना मुंडन कराया था। काफी दिनों से प्रदर्शन कर निराश हो चुकी महिला अध्यापकों ने केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की शिवराज सरकार से परेशान होकर ये कदम उठाएं।
अध्यापकों ने मुंडन कराना शुरू किया तो वहां मौजूद कई कई लोगों की आंखों में आंसू आ गए। इसी दौरान एक महिला और दो पुरुष अध्यापक गश खाकर गिर गए। तीनों को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। हालात यह था कि मुंडन करने वाले नाई के भी हाथ कांप रहे थे। विरोध के दौरान करीब 120 अध्यापकों ने सरकार के विरोध में मुंडन कराया था। ये पीएम के न्यू इंडिया में शिक्षकों की हालत है।
किसान-
‘न्यू इंडिया’ में देश के अन्नदाता की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है। फिलहार महाराष्ट्र में 5000 किसान 200 किलोमीटर लंबी पदयात्रा पर निकले हैं। किसाना का कहना है कि वो मोदी सरकार में ठगा हुआ महसुस कर रहे हैं। वही पिछले साल तमिलनाडु से आकर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने वाले किसानों ने भी अपना मुंडन कराया था।
किसानों ने मुंडन कराने के पिछे की जो वजह बतायी थी वो और भी ज्यादा दिलचस्प है। किसानों का कहना था कि सरकार जब तक हम पर ध्यान नहीं देती, हम अलग-अलग तरीकों से अपना विरोध जताते रहेंगे। धरने पर बैठे किसानों की शिकायत थी कि सरकार तमिलनाडु के खेतों को कावेरी नदी का पानी नही दे रही है।
इसकी वजह से उनके खेत भयंकर सूखे की मार झेल रहे है। इस सूखे के चलते उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंचने वाले हैं। सूखे का प्रभाव इतना ज्यादा है कि वहां अब फसलों को पैदा करना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इन लोगों की मांग है कि सरकार इनकी समस्या का तत्काल प्रभाव से समाधान करे। इन किसानों को दिलासा देकर वापस तमिलनाडु तो भेज दिया गया लेकन इनकी समस्या आज भी जस की तस है।