एक बॉलीवुड फिल्म ‘सत्ता’ का डायलॉग है कि ‘राजनीति में सिर्फ आपसी फायदे होते हैं, न किसी प्रकार की देश या सामाजिक सेवा पर न ही कोई नैतिक ज़िम्मेदारी।’ देश में हो रहे घटनाक्रम और उसपर सत्ताधारी नेताओं की चुप्पी इस डायलॉग को सही ठहरती है।

ये अपने आप में एक बड़ी विडंबना है कि जो पार्टी सत्ता में ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ के नारे के साथ आई थी उसी के कार्यकाल में बेटियों की सुरक्षा का मुद्दा देशभर में छाया है। सुरक्षा भी किसी और से नहीं बल्कि इसी पार्टी के लोगों से।

जम्मू-कश्मीर में 8 साल की बच्ची असीफा के साथ जघन्य बलात्कार और हत्या से लेकर उत्तरप्रदेश के उन्नाव में कथित तौर पर भाजपा विधायक द्वारा करे गए बलात्कार के मामलें सड़क से संसद तक चर्चा का मुद्दा बन चुके हैं। लेकिन भाजपा के पुरुष नेता तो छोड़िये महिला नेता तक इन मामलों में चुप्पी साधी हुई हैं।

भाजपा महिला नेताओं की बात करें तो सुमित्रा महाजन को भूला नहीं जा सकता है। सुमित्रा महाजन 1989 से भाजपा सांसद हैं। 16 बार देश और समाज की सेवा की शपथ लेने के बावजूद वो आज चुप हैं। लगता है महाजन भी ‘आपसी फायदे वाली राजनीति’ कर रही हैं।

वो इस दुविधा में हैं कि वो बोले भी तो कैसे? कही पार्टी उनपर कार्रवाई न कर दे। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में 8 साल की बच्ची के बलात्कार मामले में वहां के भाजपा नेता आरोपियों के पक्ष में खड़े हैं। और उत्तरप्रदेश में तो आरोपी ही भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर हैं।

दोगलेपन की बात करें तो संसद में स्पीकर सुमित्रा महाजन ने 19 मार्च 2015 को संसद में बहस के दौरान कहा था कि कुछ भी हो लेकिन महिलाओं पर हो रही हिंसा को लेकर राजनीति नहीं होगी। उनके इस डायलॉग का विडियो यूट्यूब पर चर्चित है।

लेकिन उन्नाव में बलात्कार पीड़िता के पिता को आरोपी विधायक का भाई पीट-पीटकर मार देता है। जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची आसिफा के बलात्कार आरोपियों के पक्ष में भाजपा के लोग जय श्री राम के नारे लगाते हैं लेकिन सुमित्रा महाजन इस राजनीति पर चुप हैं।

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