मीडिया पिछले कुछ समय में कितना बदल गया है ZEE Group इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। वर्तमान में ZEE को मोदी सरकार के पक्ष में खबरें दिखाने के लिए जाना जाता है। यहाँ तक कि कई बार सरकार की अंधभक्ति में ये न्यूज़ चैनल फैक न्यूज़ भी चला चुका है।
नोटबंदी के समय में भी इसी चैनल के न्यूज़ शो में ये दावा किया गया था कि 2000 के नए नोट में चिप लगी है। जिससे कालाधन जमा करने वालों को पकड़ लिया जाएगा।
इसके अलावा लगभग सभी मुद्दों पर ये चैनल भाजपा के लिय ही ‘ताल ठोकता’ नज़र आता है।
लेकिन कुछ साल पहले तक यही ZEE Group भाजपा और खासकर नरेंद्र मोदी के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचारों को सामने ला रहा था।
‘डीएनए’ ZEE Group का ही अखबार है। इसकी एक स्टोरी इन्टरनेट पर वायरल हो रही है। ये स्टोरी अगस्त 2011 में प्रकाशित हुई थी। इसमें नरेंद्र मोदी के शासनकाल में गुजरात में हुए घोटालों पर सवाल उठाए गए थे। स्टोरी में ये सवाल उठाया गया कि इन घोटालों की जांच के लिए नरेंद्र मोदी ने लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं की।
इस बात पर जानेमाने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने भी सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि उस समय नरेंद्र मोदी के 17 घोटालों पर सवाल उठाने वाला ZEE Group अब राफेल घोटाले, नीरव मोदी घोटाले के लिए क्यों मोदी सरकार से लोकपाल की मांग नहीं कर रहा है।
ये थे वो 17 घोटाले:
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- टाटा को सस्ते दामों में नेनो प्लांट के लिए ज़मीन देना
- गौतम अडानी की कंपनी को एक रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की कीमत पर ज़मीन देना
- उद्योगपति के रहेजा की कंपनी को सस्ते दामों पर ज़मीन देना लेकिन भारतीय वायुसेना को नहीं
- कृषि विश्वविद्यालय की 65000 स्क्वायर मीटर ज़मीन निजी कंपनी को देना
- देश की सीमा के क्षेत्र में से वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के करीबी की कंपनी को ज़मीन देना
- वन क्षेत्र में से अडानी की कंपनी को 2.08 लाख स्क्वायर मीटर ज़मीन देना
- बिना टेंडर निकाले एक निजी कंपनी को व्यवसाय के लिए 38 झीलें देना
- लेर्सन एंड टर्बो को 80 हेक्टेयर ज़मीन एक रुपये प्रति स्क्वायर मीटर की कीमत पर देना
- 120 रुपये प्रति किलो का चारा एक निजी कंपनी से 240 रुपये के दाम पर खरीदना
- 92 करोड़ का आंगनवाड़ी घोटाला
- हज़ारों करोड़ का जीएसपीसी घोटाला
- कमर्शियल जहाज़ का प्रयोग न करके नरेंद्र मोदी द्वारा लक्ज़री जहाज़ का प्रयोग करना
- 500 करोड़ का सुजालम सुफालम योजना घोटाला
- 36 करोड़ का इन्गोल्ड रिफाइनरी घोटाला
- बिना टेंडर के एक निजी कंपनी को GSPC स्टेशन के 49% शेयर बेचना
- बिना नीलामी के राष्ट्रीय हाईवे पर एक होटल को 25 हज़ार स्क्वायर मीटर ज़मीन दे देना
- बिना नीलामी के राज्य के मुख्य शहरों में महंगी ज़मीनों को कुछ निजी कंपनियों को देना