एक वरिष्ठ पत्रकार हैं विनोद दुआ। ‘द वायर’ में काम करते हैं। इनका एक शो आता है जिसका नाम है- ‘जन गण मन की बात’

जब भारत में #MeToo अभियान शुरु हुआ तो विनोद दुआ ने इसे प्रमुखता से उठाया। ‘जन गण मन की बात’ के 313वें एपिसोड में विनोद दुआ ने #MeToo पर जमकर ज्ञान बांचा। विनोद दुआ ने बड़े ही तफ़सील से #MeToo अभियान और ‘सेक्सुअल हैरेसमेंट को समझाया।

उन्होंने वीडियो में कहा ‘दस साल पहले तनुश्री दत्ता ने FIR दर्ज कराई थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया था। अभी तक जो बॉलीवुड के महान लोग हैं, वो चुप हैं। तमाम बड़े-बड़े लोग चुप हैं, क्योंकि हमारे यहां इस तरह का चरित्र ही नहीं है लोगों का। बड़े बॉलीवुड के एक्टर्स का कि वो स्टैंड ले पाएं, किसी खास विषय पर। ये हॉलीवुड नहीं है, जहां लोग बोलते हैं। ये बॉलीवुड है।’

इस एपिसोड को देखकर लगता है विनोद दुआ #MeToo को क्रांति से कम नहीं समझ रहे हैं। लेकिन अपने दर्शकों का ये भ्रम विनोद दुआ ने जल्द ही तोड़ दिया।

दरअसल #MeToo मूवमेंट के तहत इस वरिष्ठ पत्रकार पर भी यौन उत्पीड़न का आरोप लगा। फिल्मकार निष्ठा जैन ने 14 अक्टूबर को एक फेसबुक पोस्ट के माध्यम से आपबीती लिखी।

निष्ठा जैन ने लिखा ‘उन्होंने मुझे जॉब के बारे में बताया और मुझसे सैलरी के बारे में बात की। पूछा कि तुम कितनी सैलरी चाहती हो? मैंने कहा- 5000 रुपए। उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- तुम्हारी औकात क्या है? मैं शॉक्ड रह गई थी। घर पहुंचने तक मेरी आंखों में आंसू थे। बाद में मुझे दूसरी कंपनी में नौकरी मिली। पता नहीं कैसे उस शख्स को इस बारे में मालूम पड़ा। मेरे ऑफिस के लोग उसके दोस्त थे। उन्होंने उसे मेरी टाइमिंग के बारे में बताया।’

‘एक रात मैं जब पार्किंग में गई तो वो वहां मौजूद था। उसने कहा कि वो मुझसे बात करना चाहता हैं। मुझे अपनी गाड़ी में बैठने को कहा। मैं गाड़ी मैं बैठी ही थी कि वो मुझे बुरी तरह से ताकने लगा। उसके बाद मेरे साथ जबरन किस किया। मैं किसी तरह से वहां से भागी। इसके बाद भी उसने कई दिनों तक मेरा पीछा किया। वो शख्स विनोद दुआ था। आज वे दुनिया को यौन उत्‍पीड़न का मतलब समझाता है। लेकिन इससे पहले उसे अपने अतीत में झांकना चाहिए।’

It was June 1989. I still remember the day because it was my birthday. There was extended family at home and mom was…

Nishtha Jain ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಶನಿವಾರ, ಅಕ್ಟೋಬರ್ 13, 2018

इस आरोप के बाद #MeToo मूवमेंट को लेकर विनोद दुआ के सुर बदल गए। 5 अक्टूबर जो #MeToo विनोद दुआ को क्रांति लग रही थी वो अब कीचड़ लगने लगा है। दुनिया को सेक्सुअल हैरेसमेंट का पाठ पढ़ाने वाले विनोद दुआ अब #MeToo से खीज रहे हैं। ख़ैर यही होता आया है। पंडितजी तमाम लोगों का ‘पतरा’ देखते हैं, लेकिन जब कोई उनके ‘पतरा’ का विश्लेषण कर देता है तो बौखलाहट मच जाती है। हालांकि विनोद दुआ पर अब तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है।

‘जन गण मन की बात’ के 318वें एपिसोड में विनोद दुआ खुद पर लगे सभी आरोप को खारिज करते हुए कहते हैं ‘मुझ पर भी कीचड़ उछाला गया है। कीचड़ सेक्सुअल हैरेसमेंट का तो नहीं है, लेकिन परेशान करने का है। तीस साल पहले, किसी महिला को लगा कि मैंने कुछ ऐसा किया, जिससे उन्हें परेशानी हुई। अभी ये ऐसा कीचड़ है जो किसी पादरी के चोगे पर भी लग सकता है, जज, वकील, पुजारी, डॉक्टर, किसी शरीफ आदमी के चोगे पर भी लग सकता है।

कीचड़ एक बार लग गया तो जिस पर फेंका गया है, वो क्या कर सकता है, सिवाए इसके कि वो इनकार करे कि ऐसा नहीं हुआ है। मुझ पर जो आरोप लगे हैं, मैं उन्हें नकार रहा हूं, खारिज कर रहा हूं। ये बेबुनियाद है, काल्पनिक है, ऐसा कुछ नहीं हुआ।’

सोशल मीडिया पर विनोद दुआ के इस कीचड़ भरे बयान की जमकर आलोचना हुई। इसके बाद ‘जन गण मन की बात’ के 318वें एपिसोड को ‘द वायर’ ने हटा लिया। अब 318वें एपिसोड को दोबारा से एडिट कर ‘कीचड़’ वाले बयान को काट दिया गया है।

सवाल उठता है कि बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे हुए ‘द वायर’ विनोद दुआ के साथ काम क्यों कर रहा है? ‘द वायर’ ने 14 अक्टूबर को बयान जारी किया था कि उनकी ‘इंटरनल कम्लेंट्स कमेटी’ इस मामले की जांच कर रही है। शायद अभी तक कमेटी किसी निर्णय पर नहीं पहुंची है। ऐसे में ‘द वायर’ विनोद दुआ के साथ काम चालू रखकर क्या संदेश देना चाहता है?

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