मोदी सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री आशा’ योजना को मंज़ूरी दिए जाने के बाद स्वराज इंडिया पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने इसपर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इसके ज़रिए प्राइवेट व्यापारियों को फायदा पहुंचाना चाहती है।
किसानों को एमएसपी के तहत फसलों का दाम दिलाने के लिए शुरु की गई प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) को लेकर योगेंद्र यादव ने मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।
सरकार के मुताबिक, इस योजना की शुरुआत किसानों से फसल खरीद की प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाने के लिए की गई है।
इस योजना के तहत अगर फसल की कीमत सरकार द्वारा तय एमएसपी के कम होगी तो भी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को उनकी फसलों का दाम एमएसपी के तहत मिले।
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यह मध्य प्रदेश की भावांतर योजना की तर्ज पर काम करेगी, जिसमें फसल की कीमत एमएसपी से कम मिलने पर केंद्र सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई करेगी।
इस योजना को किसान विरोधी बताते हुए योगेंद्र यादव ने ट्वीटर के ज़रिए कहा, “आशा के बदले मिली हताशा। आशा योजना मोदी सरकार द्वारा किसान का एक-एक दाना एमएसपी पर खरीदने के वादे का उल्लंघन है। मोदी सरकार ने किसानों को किए एक और वादे को झुठलाया है।
उन्होंने किसान की फसल खरीदने के लिए सरकार द्वारा घोषित फंड को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि यह ज़रूरत के लिहाज़ से 30 फीसद भी नहीं है। केंद्र सरकार किसान की फसल का केवल एक चौथाई खरीद कर हाथ झाड़ लेगी, बाकी जिम्मेदारी राज्य सरकार के सर पर छोड़ दी जाएगी। योगेंद्र यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में फेल भावांतर योजना को पूरे देश पर लागू करने की कोई तुक नहीं है।
स्वराज इंडिया के नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार इस योजना के ज़रिए प्राइवेट व्यापारियों को फायदा पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस योजना से पिछले दरवाजे से प्राइवेट व्यापारियों के हाथ सरकारी खरीद देने की शुरुआत है।
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योगेंद्र यादव ने आगे कहा, “सरकारी खरीद के लिए देश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी का कोई उपाय नहीं सुझाया। ठेके और बटाई पर खेती करने वाले बहुसंख्यक किसानों के लिए अपनी फसल एमएसपी पर बेचने की कोई व्यवस्था नहीं है”।