उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया गया। टाटा बिरला से लेकर अंबानी-अडाणी जैसे कई बड़े उद्योगपति ने इसमें हजारों करोड़ के निवेश करने की घोषणा की।

मगर इतने बड़े इन्वेस्टर समिट का आयोजन में निवेशकों को लुबाने के लिए सिर्फ सजावट पर ही 65 करोड़ 15 लाख रुपये खर्च दिए

दरअसल लखनऊ में हुए इस समारोह में डीएम कौशल राज शर्मा ने दो दिन समारोह के दौरान हुए खर्च का ब्यौरा दिया। सम्मलेन में सजावट का खर्च जो नगर निगम ने उठाये वो 24 करोड़ 25 लाख है। इसमें डीएम ने ये भी बताया की लखनऊ विकास प्राधिकरण जिसने कुल 13 करोड़ 8 लाख की रकम खर्च की जबकि पीडब्लूडी विभाग ने करीब  साढ़े 12 करोड़ खर्च किए।

इन सबको अगर मिला दें तो उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए बुलाए गए इस सम्मेलन में 65 करोड़ 15 लाख का खर्च अलग-अलग विभागों ने किया है।

इसका मतलब की सरकार एक तरफ तो कारोबारियों को कारोबार करने के लिए उपयुक्त माहौल भी बना रही है। वही दूसरी तरफ वो जनता के पैसों को सजावट में लगाकर व्यर्थ कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने फूलों के गुलदस्ते के लिए अपने नेताओं को मना कर रखा है मगर वही दूसरी तरफ वो ऐसे इन्वेस्टर समिट का हिस्सा भी बनते है जहां सिर्फ सजावट के नाम पर करोड़ो फूक दिए जा रहें है।

लखनऊ शहर के बीचों बीच बने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान का एक दिन का खर्च ही लाखों में है। इसमें कोई शक नहीं की उत्तर प्रदेश में इतने व्यापक स्तर पर इन्वेस्टर समिट होना, इन्वेस्टर समिट में इतने निवेशकों और उद्यमियों का एकजुट होना, अपने आप में एक बड़ा परिवर्तन है मगर सिर्फ सजावट के नाम पर करोड़ो फूक देना कहां तक सही है इसकी जवाबदेही किसकी है।

सवाल ये उठता है की क्या गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई बच्चों की मौतों का सिलसिला जारी है। साल 2017 में इसी अस्पताल में मूल सुविधा न होने के चलते 1300 से बच्चों ने जन्म लिया।

जिनमें 290 बच्चों ने सिर्फ अगस्त के ही महीने में ऑक्सीजन की कमी और अन्य कारणों के चलते दम तोड़ दिया था। और अब भी मौतों का सिलसिला जारी ही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री करोड़ो रूपया देव दीपावली के नाम पर 134 करोड़ रुपयों की सजावट के लिए ही खर्च किये गए थे। कर बैठे अब इन्वेस्टर समिट में इतने पैसे लगा दिए। मगर फिर भी बीआरडी अस्पताल की हालत जस की तस है।

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