गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनाव हारते ही योगी सरकार एक्शन में है। यही वजह है की योगी सरकार ने अधिकारीयों में फेरबदल करते हुए 37 आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया है जिसमें गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला का भी नाम शामिल है। इसके साथ ही कासगंज हिंसा पर अपनी आवाज़ उठाना भी अधिकारी को महंगा पड़ गया है।

दरअसल योगी सरकार ने इन फैसलों को क्यों लिया अगर इसकी तह में जाए तो पता लग जायेगा की ऐसा हुआ क्यों है।

ये सभी मामले एक दूसरे से जुड़े हुए है जहां एक तरफ नाम आ रहा है राजीव रौतेला तो उनकी भी वजह साफ़ है क्योकिं गोरखपुर के उपचुनावों में काउंटिंग के वक़्त जो ख़बर आई उससे भी योगी सरकार की छवि पर असर पड़ा है।

वही अगर बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह की बात करे तो उन्होंने कासगंज हिंसा की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था कि किसी पर पाकिस्तान परस्त बता देना आजकल का फैशन हो गया है।

इसके बाद योगी सरकार ने उनसे जवाब भी माँगा था। मगर तबादले से एक बात साफ़ हो गई की सरकार को उनका जवाब पसंद नहीं आया।

जिस तरह से योगी सरकार ने इन फैसलों को लिया है उससे ये सवाल उठता है की क्या उपचुनावों की हार का बदला अधिकारीयों के तबादलो से निकाला जा रहा है?

अगर ऐसा नहीं है तो आखिर उन आईएएस अधिकारीयों का तबादला क्यों किया गया जिन्होंने योगी सरकार की आलोचना की या फिर सरकार की छवि ख़राब करने की कोशिश की गई उनपर एक्शन क्यों लिया गया है।

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