बीजेपी नेता एवं विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर अब तक 9 महिला पत्रकार यौन शोषण के आरोप लगा चुकी हैं। लेकिन मेनस्ट्रीम मीडिया में इसपर कोई ख़ास चर्चा देखने को नहीं मिल रही।

विपक्षी नेता और कुछ पत्रकार तो बीजेपी मंत्री के इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं लेकिन चैनलों पर ताल ठोकने और दंगल कराने वाले पत्रकार इसपर ख़ामोश नज़र आ रहे हैं।

मेनस्ट्रीम मीडिया की इसी ख़ामोसी पर अध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद ने तंज़ कसा है। उन्होंने कहा कि अगर यौन उत्पीड़न के मामले में किसी कांग्रेसी नेता का नाम आया होता तो अबतक ‘गोदी मीडिया’ सरकार के साथ मिलकर इसपर ख़ूब शोर मचा रही होती।

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उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “एमजे अकबर की बजाय अगर शशि थरूर पे ऐसा आरोप लगा होता, तो पूरी सरकार और गोदी मीडिया ME 2 ME 2 कर रहे होते”।

बता दें कि सबसे पहले प्रिया रमानी नाम की एक पत्रकार ने मीटू कैंपेन के तहत एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। जिसके बाद कई महिला पत्रकारों ने आरोपों का का समर्थन करते हुए अपने अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर किए।

शुमा राहा नाम की पत्रकार ने ट्वीट कर कहा, उनके साथ 1995 में ताज बंगाल होटल, कोलकाता में एमजे अकबर ने ग़लत हरकती की। उनकी ग़लत हरकत के विरोध में उसने नौकरी करने से इंकार कर दिया।

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वहीं फोर्स न्यूज़ मैगज़ीन की कार्यकारी संपादक ग़ज़ाला वहाब ने भी एमजे अकबर की काली करतूतों के बारे में एक लेख के ज़रिए बताया। उन्होंने बताया कि जब वह एशियन एज में काम करती थीं तो एमजे अकबर ने कई बार उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की।

अब सवाल यह उठता है कि जिस विदेश राज्य मंत्री पर 9 महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हों, उसके ख़िलाफ़ बेटी बचाओ का दावा करने वाली मोदी सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही?

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विपक्ष की मांगों के बावजूद अभी तक एमजे अकबर को मंत्री पद से बर्खास्त क्यों नहीं किया गया और मीडिया इस मामले पर खामोश क्यों है?

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