मौजूदा वक्त में गोदी मीडिया हद से ज्यादा क्रूर है। अपने ही दर्शकों और पाठकों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए भारतीय मीडिया दुनिया भर में कुख्यात हो चुका है। जब भारतीय मीडिया की क्रूरता को कलमबद्ध किया जाएगा तो नज़ीब अहमद के मामले को जरूर लिखा जाएगा।
2 साल पहले JNU के छात्रावास से गायब हुए छात्र नजीब के साथ एबीवीपी जैसे दक्षिणपंथी संगठन ने ज्यादती की और मीडिया ने बदनाम किया। टाइम्स नाउ जैसे चैनलों ने तो बेशर्मी की हद पार करते हुए नजीब का लिंक आईएसआईएस से जोड़ दिया।
हालांकि अब दिल्ली हाईकोर्ट से गोदी मीडिया को फटकार मिली है साथ ही सख्त निर्देश दिया गया है कि अपनी वेबसाइट पर से इस तरह की झूठी और वाहियात वीडियो हटाई जाएं। जिस बात का कोई सबूत नहीं है उस तरह की खबरें प्रसारित की गई ?
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गौरतलब है कि गोदी मीडिया के इस दुष्प्रचार के खिलाफ नजीब अहमद की मां एक लंबी लड़ाई लड़ रही हैं। उन्होंने ना सिर्फ वीडियो वापस लेने की अपील की है बल्कि इन तमाम मीडिया घरानों से 2.2 करोड़ रुपए के हर्जाने की भी मांग की है।
बता दें कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्र नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 से गायब है। एमएससी बायोटैकनॉलजी के पहले साल का छात्र अचान ही कैंपस से गायब हो गया था या कर दिया गया था! गायब होने से पहले नजीब के साथ एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने मारपीट की थी।
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गायब होने के करीब दो साल बाद यानी अक्टूबर 2018 तब सीबीआई नजीब को नहीं ढूंढ पायी।
अब सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने की इजाजत दे दी है। मगर मीडिया हाउसेस को फटकार लगाई है
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