दिल्ली में मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत को चिठ्ठी लिखकर शिकायत की है।

इसके साथ ही उन्होंने इस मामले की पारदर्शी तरीके से जांच कराने की मांग करते हुए रावत से मिलने का समय भी मांगा है।

चिठ्ठी में केजरीवाल ने लिखा, ‘हमारी जानकारी में यह बात आई है कि विधानसभा चुनावों के बाद दिल्ली में लाखों वोटरों का नाम वोटर लिस्ट से मिटा दिया गया है। ज़्यादातर नाम बदनीयती से मिटाए गए हैं। नामों को मिटाने में कानून का पालन नहीं किया गया है’।

उन्होंने लिखा, ‘मिटाए गए नामों को सरसरी तौर पर देखा जाए तो पता चलता है कि ज़्यादातर नाम आप और कांग्रेस वोटर्स के हैं’। बीजेपी पर आरोप लगाते हुए केजरीवाल ने आशंका जताई कि हो सकता है कि यह बीजेपी के इशारे पर कुछ अधिकारियों ने किया हो।

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि  मुख्यमंत्री ने इसकी जांच कराई तो दक्षिणी दिल्ली से जुडे़ नौ मामलो में खुद चुनाव अधिकारियों ने माना कि उनसे गलती हुई है। हैरत की बात यह भी है कि जिन मतदाताओं के वोट काटे गए हैं, वह या तो कांग्रेस के मतदाता हैं या आप के।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के खिलाफ षड्यंत्र हो रहा है। दक्षिणी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से एक लाख वोट काटे गए हैं। क्या भाजपा इस तरह चुनाव जीतना चाहती है।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में भी जिक्र किया है कि उनकी जांच में ये गलत साबित हुआ है। साथ ही सीएम ने जांच की मांग भी की है और कहा है कि जितने नाम काटे गए हैं, उन्हें फिर से जोड़ा जाए।

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सिसोदिया ने यह भी कहा कि टीएन सेशन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे तो चुनाव आयोग की ख्याति बनी थी, लेकिन मौजूदा समय में स्थिति अच्छी नहीं है। एक लोकसभा से एक लाख नाम काटा जाना बहुत बड़ी बात है।

इस तरह से नाम हटाना बहुत बड़ी प्रक्रिया है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को चुनाव में हारने की गारंटी है, इसीलिए यह सब किया जा रहा है।

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