राफेल डील में हुई गड़बड़ी पर हर रोज मोदी सरकार को विपक्ष घेरने में लगा हुआ है। इस बार पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने राफेल डील पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन पर सवाल खड़े किये है।

चिदंबरम ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान खरीद में रक्षा मंत्री को कुछ नहीं पता है किसी ने भी अपना काम सही तरीके से नहीं किया है।

दरअसल पी चिदंबरम पार्टी सम्मलेन में शामिल होने तमिलनाडू पहुंचे थे। जहां उन्होंने ने राफेल डील पर कई गंभीर सवाल खड़े किये है।

पूर्व मंत्री ने कहा कि बीजेपी सरकार में बैठे लोग कहते है विमान सस्ता है तो ऐसे हालत में आपको ये बताना चाहिए कि आखिर लड़ाकू विमान का दाम कितना है। उन्होंने कहा कि अगर विमान सस्ता ही था तो सरकार इसे 126 से कम करके सिर्फ 36 राफेल क्यों खरीद रही है।

राफेल मामले पर उन्होंने सोशल मीडिया पर राफेल डील की जांच न होने कारण गिनवाए है, जिसमें उन्होंने पूछा कि आखिर मोदी सरकार ने 126 राफेल का सौदा क्यों कैंसिल किया? जबकि एयरफोर्स पहले 126 विमानों के लिए मंजूरी दे चुका था?

उन्होंने एक और सवाल किया की आखिर एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) को ऑफसेट पार्टनर क्यों नहीं बनाया आखिर एक पार्टनर तो बना ही सकते थे।

अगला सवाल पूर्व मंत्री ने दाम पर किया और कहा कि अगर एनडीए ने राफेल सौदे में मोल भाव किया है और पिछली बार 9 प्रतिशत कम दाम पर राफेल खरीद रहे हैं तो सिर्फ 36 लेने की क्या ज़रूरत थी और 126 लेने से मना क्यों कर दिया।

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गौरतलब हो कि पिछले दिनों वित्तमंत्री अरुण जेटली ने एक न्यूज़ एजेंसी से बात करते हुए कहा हुए कहा था कि जो विमान है वो पूरी तरह से उपकरणों के साथ होगा और विमान का दाम यूपीए सरकार द्वारा की गई डील से 20 प्रतिशत कम है।

क्या है विवाद

राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।

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बता दें, कि इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल विमानों को 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 526 करोड़ थी।

इनमें से 18 विमान तैयार स्थिति में मिलने थे और 108 को भारत की सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), फ्रांस की कंपनी ‘डासौल्ट’ के साथ मिलकर बनाती। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फ़्रांस यात्रा के दौरान इस डील को रद्द कर इसी जहाज़ को खरीदने के लिए में नई डील की।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई डील में एक विमान की कीमत लगभग 1670 करोड़ रुपये होगी और केवल 36 विमान ही खरीदें जाएंगें। नई डील में अब जहाज़ एचएएल की जगह उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी बनाएगी।

जबकि अनिल अम्बानी की कंपनी को विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं है क्योंकि ये कंपनी राफेल समझौते के मात्र 14 दिन पहले बनी है। साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर भी नहीं होगा जबकि पिछली डील में टेक्नोलॉजी भी ट्रान्सफर की जा रही थी।

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