तेल की बढ़ती कीमतों पर प्रधानमंत्री की बैठक ख़त्म हो चुकी है मगर तेल की कीमतों में कोई कटौती नहीं हुई है। प्रधानमंत्री की इस बैठक ये तय किया गया की अमेरिका के बैन लगाने के बाद भी सरकार ईरान से क्रूड आयल लेती रहेगी।

इस बैठक में तेल की बढ़ती कीमतों पर समीक्षा की गई जिसमें सरकार की तरफ से तत्काल कोई राहत नहीं दी गई है।

तेल के बढ़ती कीमतों ने आम जनता की जेब पर सीधा असर डाला है। सरकार ने पिछले हफ्ते पेट्रोल पर ढाई रूपये की कटौती करके डंका पीट दिया था कि वो जनता के दर्द को समझ रही है।

मगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।

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दरअसल मोदी सरकार ने हाल ही ढाई रु की मामूली कटौती करते हुए कहा था कि हम जनता के दर्द को समझते है इसलिए हम ये कटौती कर रहें है।

मगर लगातार चार दिन से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो रही है, दिल्ली में पेट्रोल की कीमत जहां 82.26 रु प्रति लीटर मिल रहा है वहीं डीजल भी अब 74.11 प्रति लीटर मिल रहा है। आज पेट्रोल के दाम में 23 पैसे और डीजल के दाम में 29 पैसे की वृद्धि की गई है।

तेल की बढ़ती कीमतों का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र में देखने को मिल रहा है।

मुंबई में पेट्रोल 87.73 रु और डीजल 77.68 प्रति लीटर मिल रहा है। इन चार दिनों में दिल्ली में पेट्रोल 76 पैसे बढ़े है और डीजल के दाम में1.06 रु प्रति लीटर का इजाफा किया गया है।

वहीं अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों की बात करें तो विदेशी संकेतों से घरेलू बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी आई है। तेल कीमतों पर नज़र रखने वाले जानकारों का मानना है कि अगर यह गिरावट आगे जारी रही और ब्रेंट क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ जाए तो आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी आएगी।

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मगर सबसे बड़ा सवाल ये है की क्या मोदी सरकार आने वालें दिनों तेल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगा पाएगी?

जिस तरह से पेट्रोल की कीमतों में इजाफा हो रहा है उसे देखकर ऐसा कहना मुश्किल है कि कीमतों में फ़िलहाल कोई राहत मिलने वाली है।

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