‘केंद्र में मोदी राज्य में योगी’ ये नारा यूपी के विधानसभा चुनाव में आम था। पीएम मोदी लगातार रैली कर रहे थें और बीजेपी के बड़े नेताओ में खुद को प्रदेश का बड़ा नेता बताने में होड़ मची हुई थी।

मगर PM मोदी चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए सारी सीमा लांग गए और शमशान और कब्रिस्तान का ज़िक्र कर दिया।

जुमला हिट हुआ और बहुसंख्यक समाज को गर्व महसूस हुआ की हमारा वर्चस्व बढ़ेगा। फिर बीजेपी बहुमत से चुनाव जीत गई।

लगेगी आग तो आएंगे ‘तिवारी’ के भी घर ज़द में, यहाँ पे सिर्फ़ ‘दलितों और मुसलमानों’ का मकान थोड़ी है!

उसके बाद प्रदेश में जो चल रहा है उसपर हाई कोर्ट की टिप्पणी ही काफी है, कोर्ट ने कहा ‘योगी सरकार की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है’ ये कोई इल्जाम नहीं है कोर्ट का सख्त रुख है।

जिसके बाद भी प्रदेश में कभी सूरज यादव गोली खा रहा तो कभी नौशाद तो कभी विवेक तिवारी।

प्रधानमंत्री मोदी ने जो कहा उसे उन्होंने पूरा किया अब प्रदेश में शमशान भी बन रहे है और कब्रिस्तान भी।

क्या हमने BJP को इसलिए वोट दिया था कि वो मेरे पति को मारकर मेरे बच्चों को अनाथ कर दें : विवेक तिवारी की पत्नी

बस आज़ादी से ज़िंदगी जीना मुश्किल हो रहा है जो लोकतंत्र पर एक गंभीर हमला है, ये इंदिरा की इमरजेंसी से भी ख़तरनाक है।

जैसा की इतिहासकार रामचंद्र गुहा की माने तो क्या चुनाव अब फिर से धार्मिक मुद्दे पर लड़ा जाएगा? अगर हां तो शमशान और कब्रिस्तान बनते रहेंगें।

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