टीवी को टीबी हो गया है। इससे दूर रहें वरना आपको भी हो जाएगा। मुझे हैरानी हो रही है कि आप अभी तक न्यूज़ चैनल देखते हैं।
गोदी मीडिया का एक काम सरकार का प्रोपेगैंडा करना है और दूसरा काम पत्रकारिता की हत्या करना है। ताकि न उम्मीद रहे न हताशा।
पहले भी ऐसा पतन हो चुका है, आगे भी ऐसा ही पतन होता रहेगा। मालिकों ने संपादकों को बधाई दी होगी और संपादकों ने टीम को।
दर्शक जो टीवी देख रहे हैं उन्हें तमाम आलोचना के बाद ये चैनल यही बता रहे हैं कि आपका भी तो लेवल वही है। आप क्यों देख रहे हैं।
सही है कि आपने नहीं कहा कि तुम बाथटब में डूब मरो लेकिन संपादक को मालूम है कि सिर्फ टीवी ही नहीं मरता है। उसे देखने वाला भी मरता है। तो न्यूज़ रूम से आपको यही कह रहा है कि तुम भी बाथटब में डूबकर मर चुके हो।
बाकी एकदम से देखना नहीं बंद कर सकते तो चैनल देखना कम तो कर दीजिए। मुझसे सीख लीजिए। बकायदा प्राइम टाइम का एंकर हूं मगर टीवी ही नहीं देखता। रिसर्च करना होता है तो देख लेता हूं वरना सरकार की जूती उठाने वाले गोदी मीडिया से कुछ फर्क नहीं पड़ता।
जज लोया की मौत में भी कम सस्पेंस नहीं है, ये स्टोरी दे दो, सारे संपादक भाग कर हुज़ूर के पास चले जाएंगे। कहेंगे कि हुज़ूर एक दो और चुनाव जीत लीजिए न ताकि हम और जी जान से जी हुज़ूरी कर सकें। ये है आपका बुज़दिल इंडिया ये है आपका बुज़दिल मीडिया।