सीबीआई विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को मामले की जांच दो हफ्ते में पूरी करने का आदेश दिया है। यह जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की अगुआई में होगी। केस की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।

कोर्ट ने केन्द्र की मोदी सरकार को झटका देते हुए उसके द्वारा नियुक्त अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को सीबीआई में कोई भी बड़ा या नीतिगत फैसला करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट के आदेश के बाद नागेश्वर राव महज रूटीन काम करेंगे।

नागेश्वर राव किसी तरह का नीतिगत फैसला, किसी केस को खोलने अथवा बंद करने, किसी बड़े अफसर का तबादला करने जैसे काम उनकी कार्य परिधि से बाहर रहेंगे। कोर्ट ने अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव द्वारा अब तक लिए गए फैसलों की जानकारी भी मांगी है।

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सीबीआई मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के मुंह पर तमाचा मारा है। उन्होंने कहा कि नागेश्वर राव को किसी भी तरह नीतिगत फैसले लेने से रोकना अपने आप में सबसे बड़ा सबूत है कि उनकी नियुक्ति गलत तरीके से हुई थी।

संजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी भी मांगी है जो साफ है कि उन्होंने सरकार के इशारे पर गलत तरीके से लोगों को ट्रांसफर किया है।

सिंह ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को 14 दिनों के भीतर आलोक वर्मा की जांच करने को कहा है जिसकी निगरानी एक कोर्ट के रिटायर्ड जज करेंगे यानी सुप्रीम कोर्ट को भी सीवीसी पर भरोसा नहीं है।

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गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार सीबीआई विवाद के बाद सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ वर्मा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

वर्मा ने अपनी याचिका में केंद्र की ओर से उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने तथा अंतरिम प्रभार 1986 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के ओडिशा कैडर के अधिकारी तथा एजेंसी के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को सौंपे जाने के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है।

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