मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदले जाने के बाद अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयागराज’ रखने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद बीजेपी को चौतरफ़ा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विपक्षी नेताओं से लेकर कई पत्रकारों ने नाम बदले जाने के पीछे की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
समाजवादी पार्टी प्रमुख एवं सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे आस्था के साथ खिलवाड़ बताया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा,
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“राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है। ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।”
वहीं कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी ने भी इसपर कड़ा ऐतराज़ जताया है। उन्होंने कहा, ”बीजेपी सरकार काम कोई नहीं करती है बस नाम बदलने पर भरोसा रखती है। इलाहाबाद का एक इतिहास, सभ्यता और प्रशासनिक वजूद रहा है उसको ख़त्म किया जा रहा है। हम लोगों को उसकी गरिमा को कम होने से रोकना चाहिए।”
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एक यूजर अभिषेक मिश्रा ने इसपर तंज़ कसते हुए लिखा, “अगर इलाहबाद का नाम बदलने से यूपी की हालत सुधरती है तो बेरोज़गारों को भी अपना नाम बदलके अंबानी रख लेना चाहिए”।
अगर इलाहबाद का नाम बदलने से यूपी की हालत सुधरती है तो बेरोज़गारों को भी अपना नाम बदलके अम्बानी रख लेना चाहिए
— Abhishek Mishra (@meamabhishek) October 14, 2018
बता दें कि रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि कुछ संतों ने उन्हें इलाहाबाद में ये प्रस्ताव दिया था। जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी है, राज्यपाल राम नाईक ने भी इस प्रस्ताव पर हामी भरी है।