न्यूज 18 इंडिया के सोशल मीडिया प्लेटफॉम पर एक नया वीडियो सेक्शन शुरू हुआ है, जिसका नाम है #TheRightStroke
इस हैशटैग के माध्यम से न्यूज 18 इंडिया के एंकर ‘मन की बात’ करते हैं। 15 अक्टूबर की शाम चार बजे सोशल मीडिया पर #TheRightStroke के साथ एक वीडियो अपलोड किया गया। एंकर थे सुमित अवस्थी।
कुल 4 मिनट 53 सेकेंड के इस वीडिया का कैप्शन था ‘इलाहाबाद का नाम बदलने पर भी परेशान हैं सपा और कांग्रेस।
इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज किया जा रहा है तो सपा और कांग्रेस को दिक्कत क्या है? आखिर तीर्थराज प्रयाग का उल्लेख पौराणिक है और पूर्व में इसे प्रयाग ही कहा जाता था- सुमित अवस्थी’
#TheRightStroke
इलाहाबाद का नाम बदलने पर भी परेशान हैं सपा और कांग्रेस
इलाहाबाद का नाम बदलकर फिर से प्रयागराज किया जा रहा है तो सपा और कांग्रेस को दिक्कत क्या है ? आखिर तीर्थराज प्रयाग का उल्लेख पौराणिक है और पूर्व में इसे प्रयाग ही कहा जाता था. @awasthis pic.twitter.com/FXKBKMNmBW— News18 India (@News18India) October 15, 2018
दरअसल योगी सरकार जनवरी में होने वाले कुंभ से पहले इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने वाली है। सरकार के इस कदम का विरोध किया जा रहा है। ऐसे में गोदी मीडिया योगी सरकार का बचाव कर नमक का कर्ज चुकाने सामने आई है।
सुमित अवस्थी योगी सरकार का खुलकर बचाव कर रहे हैं। गोदी पत्रकार होना का जो भी लक्षण होता है वो सब वीडियो में दिख रहा है। गोदी पत्रकार के लक्षण- सत्ता से सवाल ना पूछना, सत्ता की जी हुजूरी करना, विपक्ष के सवालों को गलत बताना, विपक्ष से सवाल पूछना, किसी भी मुद्दें को हिंदू बनाम मुस्लिम बनाना… आदि
वीडियो में सुमित अवस्थी कह रहे हैं कि विपक्ष नया विवाद खड़ा कर रहा है। लेकिन हकीकत तो ये है कि योगी सरकार ने विवाद खड़ा किया है। अगर योगी सरकार इलाहाबाद का नाम न बदलती तो ये विवाद ही नहीं होता।
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सुमित अवस्थी का तर्क है कि इलाहाबाद का नाम 400 साल पहले प्रयागराज था। मुगलों ने प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया, इसलिए अब अगर नाम बदला जा रहा है तो क्या खराबी है?
अगर खराबी नहीं है तो अच्छाई क्या है? इलाहाबाद से क्या परेशानी है और प्रयागराज से क्या फायदा हो जाएगा? जो नाम 400 साल पहले था उसे दोबारा रख देने से क्या क्रांति हो जाएगी?
क्या नाम बदलने से इलाहाबाद की तमाम समस्याओं का समाधान हो जाएगा? क्या इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी पूरी हो जाएगी? या विश्वविद्यालय का इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़िया हो जाएगा? या इलाहाबाद के युवाओं को रोजगार मिल जाएगा? क्या 400 साल पहले जो जैसा था वैसा कर देना चाहिए? और ऐसा करने से क्या क्रांति हो जाएगी?
सुमित अवस्थी को इस बात का भी कोफ़्त है कि प्रयागराज का नाम इलाहाबाद मुगलों ने किया, इसलिए अब दोबारा से प्रयागराज किया जाना चाहिए।
अगर इस हिसाब से देखा जाए तो मुगलों ने पूरे भारत में बहुत कुछ बदला, तो क्या अब सबको पहले जैसा कर देना चाहिए? कुतुब मीनार, ताजमहल, लाल किला जैसे सैकड़ों इमारतों, मीनारों को तोड़ देना चाहिए, क्योंकि उनका नाम बदलने का कोई फायदा तो है नहीं। अगर नहीं तोड़ा गया तो जब जब दिखेगा मुगलों की याद आएगी। क्या हम ऐसा करने के लिए तैयार हैं?
सुमित अवस्थी का ये भी कहना है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार इलहाबाद का नाम इसलिए बदल रही है क्योंकि वहां की जनता ऐसा चाहती है, साधू संत ऐसा चाहते हैं। ऐसे में अगर योगी सरकार उनकी बात मान रही है तो क्या दिक्कत है?
सुमित अवस्थी जो बात कह रहे हैं क्या उसका कोई प्रमाण है? क्या योगी सरकार ने नाम बदलने को लेकर कोई सर्वे कराया है? अगर सर्वे हुआ है तो जनता का क्या मत है? कितने लोग नाम बदलने के पक्ष में है? कितने लोग नाम बदलने के पक्ष में नहीं हैं? क्या इस सर्वे का कोई आंकड़ा सुमित अवस्थी आम जनता के सामने रख सकते हैं?
वीडियो में बार बार पौराणिक कथा का जिक्र है। सुमित अवस्थी अपनी वीडियो में कई बार कह रहे हैं कि पौराणिक कथा में इलाहाबाद वाले क्षेत्र का नाम प्रयागराज था। अब सुमित अवस्थी ब्राह्मण हैं उन्हें पौराणिक कथाओं का ज्यादा ज्ञान होगा। लेकिन सवाल तो ये है कि क्या अब भारत में सबकुछ पौराणिक कथाओं के हिसाब से बदला जाना चाहिए? क्या इस हिसाब से दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ रखा जाएगा?
इससे भी बड़ा सवाल ये है कि पीएम मोदी न्यू इंडिया यानी नया भारत बनाने चाहते हैं या ‘पौराणिक भारत’ अगर पौराणिक भारत बनाने चाहते हैं तो न्यू इंडिया का नारा क्यों दिया? नया भारत का सपना क्यों दिखाया?
सुमित अवस्थी अपने वीडियो के अंत में एक और कुतर्क देते हैं। उनका कहना है कि इलाहाबाद हिंदु आस्था का केंद्र रहा है। वहां साधू संत तप करते हैं ऐसे में अगर प्रयागराज नाम किया जा रहा है तो क्या परेशानी है?
अब सवाल उठता है कि जब पिछले कई सौ सालों से उस जगह का नाम इलाहाबाद है फिर भी वो हिंदूओं के आस्था का केंद्र रहा तो अब अचानक क्या दिक्कत हो गई? अब अचानक नाम बदलने की जरूरत क्या पड़ रही है?
क्या इलाहाबाद नाम होने से सुधा संतों को तप करने में परेशानी हो रही है? जब इतने सालों से तो कभी उनकी तप में कोई विघ्न नहीं आया तो अचनाक ये दिक्कत कहां से आ गई?