कैंडल मार्बेच के दौरान बेरोजगार युवाओं को पुलिस ने पीटा
कैंडल मार्बेच के दौरान बेरोजगार युवाओं को पुलिस ने पीटा

एक वक्त था जब सरकारें युवाओं से टकराने में सोचा करती थी। युवा जब सड़क पर उतरता था तब सरकारें हिलनें लगती थी

चाहे एक आंदोलन जेपी का ही क्यों ना याद कर लिया जाए। इसके अलावा तमाम आंदोलनों की रूपरेखा में युवाओं का योगदान काफी अहम रहा है।

लेकिन अब युवाओं के आंदोलनों को कम तवज्जों देने की गलतियां सरकारें करने लगी हैं। शायद इसकी एक बड़ी वजह टीवी और सोशल मीडिया पर प्रोपेगैंडा में सरकारों की मजबूती भी कही जा सकती है।

अब युवाओं को प्रोपेगैंडा फैलाकर बांट दिया जाता है। जिससे युवाओं के आंदोलन अगल-अलग बनकर टूट जाते हैं।

आज राजधानी लखनऊ में 69000 हजार शिक्षकों पर जमकर लाठियां बरसाई गईं। ये अभ्यर्थी 5 महीने से आंदोलन कर रहे हैं।

आरक्षण घोटाले से लेकर सीटों को बढ़ाने की मांग लेकर जगह जगह धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

आज मुख्यमंत्री आवास के सामने से कैंडिल मार्च निकालना चाहते थे। लेकिन उससे पहले ही 1090 चौराहे के करीब पुलिस ने लाठियां बरसाना शुरू कर दिया।

लखनऊ पुलिस ने बड़ी बेरहमी से इन बेरोजगारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस मार्च में बेटियां भी शामिल थी उन्हें भी नहीं छोड़ा गया।

ऐसे तमाम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जो युवाओं पर पुलिसिया अत्याचार की गवाही दे रहे हैं।

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UP में सरकारी स्कूल के बच्चों के पास ना स्वेटर,ना जूते,ना बैग है फिर भी एंकर सवाल नहीं पूछ रही है, ऐसा क्यों?

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