आज देश में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी इस मौके पर बाबा साहब की बात करते हुए नज़र आ रहे है।

मगर सबसे बड़ा सवाल तो यही है क्या मौजूदा सरकार खासकर की बीजेपी शासित राज्यों में बाबा आंबेडकर के विचारों को सुरक्षित रखा जा रहा है।

जिस तरह से आंबेडकर की मूर्ति तोड़े जाने और अपमानित करने की बात सामने आ रही है उसे देखकर लगता तो नहीं है उनके विचार को सुरक्षित कैसे रखा जा सकता है जब उनके सम्मान में लगाई गई मूर्तियाँ ही सुरक्षित नहीं है।

सबसे ज्यादा हैरान करने वाली तो बात यह भी है कि अांबेडकर जयंती के एक दिन पहले यानी शुक्रवार की रात उत्तर प्रदेश की राजधानी से चंद किलोमीटर की दुरी पर सीतापुर में बाबा साहेब की मूर्ति तोड़ दी गई हालाकिं बाद में प्रशासन ने आनन फानन में दूसरी मूर्ति लगवा दी।

ये पहली बार नहीं है जब सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही मूर्ति तोड़ी गई हो इससे पहले भी बीते दिनों आजमगढ़, मेरठ, एटा में आंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने और नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आई है।

वही दूसरी तरफ बीजेपी अंबेडकर के विचार पर चलने की बात करती है। जिस तरह से देशभर में अंबेडकर की मूर्तियो का अपमान किया जा रहा है। अंबेडकर आज की राजनीति के ऐसे नायक है, जिसे हर पार्टी ‘अपना’ बनाना चाहती है। लेकिन बाबा साहेब समाज के वो नायक थे, जो ताउम्र गरीब और वंचित वर्गों की आवाज बने।

मगर जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर फैसले के बाद ‘भारत बंद’ के दौरान बीजेपी शासित राज्यों भारी हिंसा हुई। उसे देखकर लगता तो नहीं है की अंबेडकर के विचारों की सच में कोई कद्र आज की सरकारें कर रही है। मूर्ति टूटने और दलितों के मारे जाने की ख़बर पर प्रधानमंत्री मोदी का चुप्पी साध लेना इस बात का संकेत है की दलित शब्द अब सिर्फ वोट बैंक का हिस्सा बनकर रह गया है।

आंबेडकर का विरोध करने वालों के ये समझना होगा आंबेडकर सिर्फ दलितों के लिए नहीं थे। उन्होंने समाज के हर उस वंचित वर्ग के अधिकारों की बात की, जिसे समाज ने अपनी शानो शौकत के आगे दबाये रखा। उन्होंने श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। डॉ. आंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन चलाया। अछूतों को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया।

मगर आज उन्ही के विचारों को दबाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में यही कहा जा सकता है की जब मोदी सरकार में बाबा आंबेडकर की ‘मूर्तियाँ’ सुरक्षित नहीं है तो उनके ‘विचार’ कैसे सुरक्षित होंगे?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here