क्या यह मात्र एक संयोग है कि चार सालों में सिर्फ विपक्ष के नेताओं के यहाँ ही छापे मारे जा रहे हैं? क्या यह मात्र एक संयोग है कि पिछले कुछ सालों में चुन-चुन कर विपक्ष के नेताओं और मीडिया घरानों के ठिकानों पर IT और ED विभाग द्वारा छापे मारे जा रहे हैं?
क्या यह मोदी सरकार के इशारों पर हो रहा है? या फिर सच में विपक्ष के नेता और विपक्ष के मुद्दों को आवाज़ देने वाले मीडिया घराने ही भ्रष्टाचारी हैं और भारतीय जनता पार्टी के नेता और उसके समर्थक ‘हंस’ हैं जिनके दामन पर एक भी ‘छापे’ के दाग़ नहीं हैं! या फिर बीजेपी पर सरकार की मेहरबानी है?
छापे कैसे और क्यों मारे जा रहे हैं? ये मोदी सरकार भले ही ना बताये लेकिन, देश की जनता चालाक है वो सब जानती है कि लोकतंत्र के नाम पर ये सरकारी एजेंसियां कैसे और किसके इशारे पर काम करती हैं!
प्रणव रॉय के बाद अब राघव बहल को मोदी सरकार की आलोचना की कीमत चुकानी पड़ रही है : आशुतोष
एक नज़र दौड़ाइए की कैसे सीबीआई लालू परिवार मुलायम सिंह और मायावती के पीछे है. तो वहीं IT और ED आम आदमी पार्टी के नेताओं के पीछे मशक्कत कर रही है। अब इन सरकारी एजेंसियों ने एक कदम आगे जाते हुए मीडिया संस्थानों को सबक सिखाने की ठानी है।
पहले NDTV के दफ्तर पर और मालिक प्रणय रॉय के घर पर छापे और आज यानि गुरुवार को क्विंट के मालिक राघव बहल के घर पर छापे पड़ना दिखता है कि आलोचना करने वालों को कैसे टारगेट किया जा रहा है।
क्या सिर्फ इन्ही मीडिया घरानों के पास सारा काल धन हैं! उनके बारे में सारकारी एजेंसियों का क्या सोचती हैं जिनको ‘गोदी मीडिया’ कहा जाता है जहाँ दिन रात मोदी गुणगान किया जाता है और बदले में सरकारी पैसे की मेहरबानी और नेयामत बरसती है।
लेकिन सरकारी एजेंसियां इन गोदी मीडिया घरानों के यहाँ छापे मारे भी तो कैसे मारे? आखिर इनको सरकार से सरकारी पैसा जो मिल रहा है और फिर गोदी मीडिया के लोगों की सांसद के तौर पर राज्यसभा तक पहुँच भी तो है!
एक नज़र में देखें तो आम आदमी पार्टी के लगभग सभी मंत्रियों के दफ्तरों पर ED-CBI के छापे पड़ चुके हैं। अभी हाल ही में केजरीवाल सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत के यहाँ रेड मारी गई है।
इसके बाद मोदी सरकार पर हमला करते हुए केजरीवाल का बयान आया कि, ‘नीरव मोदी, माल्या से दोस्ती और हम पर रेड? मोदी जी, आपने मुझ पर, सत्येन्द्र पर और मनीष सिसोदिया पर भी तो रेड करवाई थी? उनका क्या हुआ? नहीं मिला? तो अगली रेड करने के पहले दिल्ली वालों से उनकी चुनी हुई सरकार को निरंतर परेशान करने के लिए माफ़ी तो मांग लीजिए?’
NDTV के बाद अब ‘द क्विंट’ मोदी सरकार के निशाने पर, राघव बहल के घर-दफ़्तर पर IT की रेड
ऐसा क्यों होता है कि बिहार के चर्चित चारा घोटाले में लालूप्रसाद यादव सज़ा काट रहे हैं और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को अपेक्षाकृत राहत हैं? जबकि चारा घोटाला मिश्रा के मुख्यमंत्री काल से ही चला आ रहा था! क्या लालू को भाजपा का घोर विरोधी होने की सज़ा मिल रही है? ऐसा कैसे हो जाता है कि मिश्रा को भाजपा ने अपने खेमे में पलट लिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी 50 हजार से एक साल में 80 करोड़ की कैसे हो जाती है? क्या जय शाह के लिए सरकारी एजेंसियों की आँखें बंद हो जाती हैं? या ऊपर से आदेश नहीं दिया जाता क्योंकि जय शाह इस समय देश के दूसरे सबसे शक्तिशाली आदमी अमित शाह के बेटे हैं!
इन घटनाओं को देखने के बाद एक बात तो सच है कि मोदी सरकार में जो नेता और मीडिया हाउस अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं उनको सरकारी एजेंसियों का डर दिखाकर या तो चुप करा दिया जा रहा है या फिर उनपर आर्थिक पाबंदियां लगाकर उनका हुक्का पानी बंद करवाने की धमकी दी जा रही है।
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अभिनव यादव