रोज़गार बढ़ाने के बड़े-बड़े वादे करने वाली भाजपा सरकार अब अपने किए वादों पर अल्पविराम लगा रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में होने वाली चार हज़ार उर्दू शिक्षकों की भर्ती रद्द कर दी है।

उर्दू शिक्षकों की भर्ती रद्द करने पर योगी सरकार का कहना है कि प्राइमरी स्कूलों में पदों के हिसाब से कई ज्यादा उर्दू शिक्षक नियुक्त हैं इसलिए अब उर्दू शिक्षकों की जरुरत नहीं है।

पिछली सरकार में उर्दू शिक्षकों की भर्ती निकाली गई थी जिसको रद्द करने की जानकारी देते हुए यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने बताया कि सूबे में प्राइमरी और मीडियम स्कूलों में उर्दू के करीब 87000 विद्यार्थी हैं और इन स्कूलों में करीब 16000 उर्दू शिक्षक नियुक्त हैं।

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मुख्य सचिव के दिए आंकड़ों के मुताबिक, हर पांच विद्यार्थी पर एक उर्दू शिक्षक नियुक्त है| इस मामले पर योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर निशाना साधा है।

रजा ने आरोप लगाया है कि पिछली सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को हमदर्दी जताने और उनसे फायदा लेने के लिए जबरदस्ती चार हज़ार उर्दू शिक्षकों की कैटेगरी जोड़ी थी।

बता दें कि पिछली सरकार ने दिसंबर 2016 में चार हज़ार उर्दू शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। सिर्फ भर्ती ही नहीं, पिछली सरकार के शासनकाल में कैंडिडेट की लिस्ट जारी कर काउंसिलिंग की तारीख की घोषणा कर दी थी । लेकिन मार्च 2017 चुनाव के बाद सरकार बदल गई।

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सवाल यह उठता है कि अगर पिछली सरकार की ऐलान की हुई भर्ती ऐसी ही सरकार बदलने के साथ-साथ रद्द होती रहेगी तो इन सियासी खेलों का प्रभाव सीधा वोट देने वाली आम जनता पर पड़ेगा, जो ऐसी ही भर्तिया रद्द होने से बेरोज़गारी का शिकार होगी ।

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