प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने दावों और वादों को लेकर चर्चा में रहते हैं। 2014 की शुरुआत में उनकी इस शैली को उनकी खूबी माना जाता था लेकिन अब उनकी इस आदत का मज़ाक उड़ने लगा है। यहाँ तक के वो सोशल मीडिया पर ट्रोल भी होने लगे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने ट्विटर से पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार सरकार ने एक हफ्ते में 8 लाख 50 हज़ार शौचालयों का निर्माण कर लिया है।
उन्होंने कहा कि ये काम की शानदार गति है और इसके लिए वो बिहार सरकार को बधाई देते हैं। ये बात उन्होंने बिहार के सत्याग्रह मैदान में भाषण के दौरान कही।
लेकिन एक हफ्ते में इतने शौचालयों का निर्माण शक पैदा करने वाला है। इसको लेकर सरल पटेल नाम की एक फेसबुक यूज़र ने पोस्ट करते हुए कहा कि अगर एक हफ्ते में इतने शौचालय बने हैं तो मतलब 1,21,428 शौचालय एक दिन में बने, 5059 शौचालय एक घंटे में, 84 शौचालय एक मिनट में और 1.4 शौचालय प्रति सेकंड बने हैं।
अब खुद लोहिया स्वच्छ बिहार के सीईओ ने PM मोदी के इस दावे को झूठा साबित कर दिया है ।
बीबीसी की खबर के मुताबिक, सीईओ सह मिशन डायरेक्टर बालामुरुगण डी ने बताया, “तेरह मार्च से लेकर नौ अप्रैल के बीच 8.50 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया.”
इसके बाद बोलता हिंदुस्तान ने बिहार के ही कुछ पहले के आकड़ों और शौचालय बनाने की सरकार की गति पर नज़र डाली।
द टेलीग्राफ अखबार में स्वच्छ भारत अभियान को लेकर छपी 1 सितम्बर 2017 की रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार सरकार ने 2016-17 के दौरान 16 लाख शौचालय बनवाए। साथ ही सरकार ने प्रतिदिन 534 शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा है।
तो जब एक साल में सरकार 16 लाख शौचालय बना रही थी और प्रतिदिन का लक्ष्य ही 534 रखा गया था तो कैसे केवल एक हफ्ते में 8 लाख 50 हज़ार शौचालय बनाए जा सकते हैं।

वहीं 12 फरवरी 2018 में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने छापा था कि बिहार के कोशी क्षेत्र में अमीना खातून ने अपने पैसों से शौचालय बनवाया। शौचालय के लिए अमीना ने सरकार से मदद की गुहार की लेकिन जब कोई नतीजा नहीं निकला तो अमीना ने खुद ही शौचालय बनाना शुरू कर दिया। तो फरवरी तक जिस राज्य का ये हाल था वहां कैसे अचानक एक हफ्ते में इतने शौचालय बन गए।

अक्टूबर 2017 में NDTV ने सरकारी आकड़ों का हवाला देते हुए बताया था कि बिहार में शौचालय बनाने की गति देश के सभी राज्यों के मुकाबले बहुत कम है। जहाँ अन्य राज्यों में शौचालय निर्माण से 68.21% स्वच्छता प्रदान की जा रही है। वहीं बिहार में ये आंकड़ा 32.35% ही है।