मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सूबे की कानून व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, लेकिन हक़ीक़त यह है कि उनके राज में सूबे की कानून व्यवस्था की हालत ऐसी है कि आम जनता ही नहीं बल्कि ख़ुद भाजपाई भी त्रस्त हो चुके हैं।

हद तो यह कि योगीराज में बीजेपी के कद्दावर नेता एवं पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेई को भी अपनी बात मनवाने के लिए पुलिस के आगे हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं।

पुलिस बीजेपी नेता की शिकायत पर भी एफआईआर लिखने को तैयार नहीं है। एफआईआर दर्ज कराने के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेई को धरने पर बैठना पड़ा है।

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दरअसल, लक्ष्मीकांत वाजपेई चोरी के एक मामले में मेरठ के सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराने आए थे। लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत के बावजूद एफआईआर नहीं लिखी, जिससे नाराज़ वह अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ धरना दे रहे हैं।

योगी के शासन में पुलिस के इस रवैये से सूबे की कानून व्यवस्था का अंदाज़ा साफ़ तौर पर लगया जा सकता है। जो पुलिस बीजेपी के कद्दावर नेता की बात सुनने को तैयार नहीं वो आम जनता की गुहार किस तरह सुनती होगी।

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जब बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के आगे हाथ जोड़ने पड़ रहे हैं और धरना देना पड़ रहा है तो आम जनता की शिकायत थानों में कितनी सुनी जाती होगी, यह समझना मुश्किल नहीं।

पत्रकार पंकज झा ने इसपर तंज़ कसा है। उन्होंने बीजेपी नेता की हाथ जोड़ने वाली तस्वीर को ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा-

“हाथ जोड़ कर पुलिस थाने में दारोग़ा से एफआईआर लिखने की विनती करते यूपी में बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त वाजपेयी”।

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