भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो संविधान से चलता है। संविधान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट का काम संविधान की रक्षा करना है। जाहिर है संविधान ने अपनी संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट को तमाम चिंतनों के बाद ही चुना होगा।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। ऐसे में क्या माननीय सुप्रीम कोर्ट को ध्वस्त करने की धमकी देना, लोकतंत्र की हत्या करने जैसा नहीं है?
जी हां, पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट को ना सिर्फ अपमानित किया जा रहा है, बल्कि उसे ढाहने की भी बात कही जा रही है।
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दरअसल सोमवार, 29 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई हुई। 3 मिनट की सुनवाई में मामले को अगले तीन महीने के लिए टाल दिया गया। अब अगली सुनवाई जनवरी में होगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के. एम जोसफ की पीठ ने कहा कि ये मामला अर्जेंट सुनवाई के तहत नहीं सुना जा सकता है।
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कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद से ही सोशल मीडिया पर कुछ असमाजिक तत्वों द्वारा सुप्रीम कोर्ट को ‘सुप्रीम कोठा’ लिखा जा रहा है। कोई विवादित ढांचा लिख रहा है, कोई इसके गुंबद को ढाह देने की बात लिख रहा है।
ये वो लोग हैं जिन्होंने अपने नागरिक होने की जिम्मेदारी को लात मार दिया है। लेकिन क्या संवैधानिक पद संभाल रहे किसी व्यक्ति से ऐसे टिप्पणी की उम्मीद की जा सकती है?
बिल्कुल की जा सकती है। बीजेपी नेता अनिल विज का बयान सोशल मीडिया के ट्रोल्स से कम नहीं हैं। अनिल विज हरियाणा सरकार में मंत्री हैं। 29 तारीख को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अनिल विज ने सुप्रीम कोर्ट पर तंज सकते हुए लिखा…
‘सुप्रीम कोर्ट महान है चाहे तो 29 जुलाई 2014 को 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याक़ूब मेनन की फांसी की सज़ा टालने के लिए कोर्ट का दरवाजा रात को खोल दे और चाहे तो राम मंदिर जिसके लिए करोड़ों भारतवासी टकटकी लगाए इन्तजार कर रहे हों उसको तारीख दे दे – सुप्रीम कोर्ट महान है।’
सुप्रीम कोर्ट महान है चाहे तो 29 जुलाई 2014 को 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याक़ूब मेनन की फांसी की सज़ा टालने के लिए कोर्ट का दरवाजा रात को खोल दे और चाहे तो राम मंदिर जिसके लिए करोड़ों भारतवासी टकटकी लगाए इन्तजार कर रहे हों उसको तारीख दे दे – सुप्रीम कोर्ट महान है ।
— ANIL VIJ MINISTER HARYANA (@anilvijminister) October 30, 2018
सोशल मीडिया पर लिखी गई ये सभी बातें एक लोकतांत्रिक देश के लिए भयावह हैं। आमतौर पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और आदेशों पर सवाल नहीं उठाए जाते, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट संविधान की भावना को ध्यान में रखकर बनाए गए कानूनों से चलता है।
और अगर कभी कोई सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं होता तो उसके लिए भी प्रवधान है। इस प्रवधान को पुनर्विचार याचिका के रूप में जाना जाता है। लेकिन आयोध्या विवाद पर तो सुप्रीम कोर्ट ने अभी फैसला सुनाया ही नहीं फिर सोशल मीडिया पर ये आतंक क्यों फैला है?
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जो लोग सुप्रीम कोर्ट पर अयोध्या विवाद मामले में देरी से फैसला देने का आरोप लगा रहे है कि उन्हे कुछ तथ्य जान लेने चाहिए। ये सही है कि भारत की न्याय न्याय व्यवस्था कछुआ की रफ्तार से फैसला सुनाता है। इसमें गलती न्यायपालिका की भी नहीं है। जब न्यायपालिका में पर्याप्त जज और न्यायाधीश ही नहीं है तो तय समय में न्याय कैस मिलेगा?
लेकिन शायद ये बात धर्म के नाम पर लोकतंत्र की हत्या करने को तैयार नफरतियों को नहीं पता। भारतीय न्यायालयों में आतंकवाद, बलात्कार, हत्या, आदि जैसे गंभीर मामलों के लाखों केस पेंडिंग हैं।
नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) का डाटा बताता है कि भारतीय न्यायालयों के 30/10/2018 तक कुल 28091656 मामले पेंडिंग हैं। इसमें 8.22% ऐसे केस हैं जो दशकों से पेंडिंग हैं। 1949 से चल रहा अयोध्या विवाद भी इसी 8.22% में है।
Ye jo alfaaz kisi muslim ke hote jo rss ke aatankiyon ke hain to un sab ko pakistan prast aur desh drohi bna kar modi media phaansee par latak ba deta kitna dukhad hai
Yakub menan ke liye % kaha thi
न्याय की कुर्सी पर विकृत मानसिकता बैठ जाए और देश की जनता और उनकी भावना के अनुरूप कार्य ना करे तो वैसे जजों की इस देश में जरुरत ही क्या है , और तो और सच ही मेरा देश महान है जो काम दुनिया के कोई जज ना करते है वो हमारे देश के जज वो भी सुप्रीम कोर्ट के जज , बड़े लोगों , अपराधियो के लिए रात को भी कोर्ट खोले , लेकिन के अहम मुद्दे के लिए समय नहीं है ,उसके लिए तारीख पर तारीख है सच मे मेरे देश का सुप्रीम कोर्ट महान है ।
Sahi keh rahe h bhai aap india ka SC mahan h malegaw dhamake me Doshi pai gai Saadwi prgya ko Bjp court se chuda lai Kya insaaf h desh ka Par ye bjp rammandir Nhi bnwa pa rahi h kyo ki fir woh Ram mandir ke naam par Hindu logo se vote kaise manage gi kaise hindu musalmaano me nafrat paida kar gi