देश की GDP अगर 5% की जगह 2% भी हो जाए तो उस वक़्त में भी एक चैनल ऐसा होगा जो कहेगा ‘ऑल इज वेल’। ऐसा कुछ इन दिनों देखने को मिल रहा है जहां एक तरफ बीते शुक्रवार को देश की जीडीपी 6 साल के अपने निचले स्तर पर पहुँच गई। वहीं दूसरी तरफ मशहूर शो डीएनए करने वाले एंकर सुधीर चौधरी परमाणु बम से बचने के उपाय बता रहें थे।

दरअसल ताजा आकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर ​महज 5 फीसदी रह गई है। इससे पहले ​मार्च तिमाही में जीडीपी 5.80 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही विकास दर 8 फीसदी दर्ज की गई थी। मौजूदा जीडीपी बीते 25 तिमाहियों मतलब कि पिछले 6 साल से अधिक वक़्त में ये सबसे कम जीडीपी ग्राथ रेट है। मगर एंकर सुधीर चौधरी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्होंने ऐसी हालत में भी परमाणु बम से बचने के कई उपाय बताए। सबसे पहले तो परमाणु बम से बचने के उपाय के बारे में बताना में कुछ गलत नहीं है। मगर ऐसे स्थिति में जब देश के तमाम आर्थिक एक्सपर्ट जो सुझाव दे रहें है क्या उसपर बात नहीं की जा सकती थी? क्या मोदी सरकार के किसानों को दिए जाने वाले 6000 रुपया सालाना दे देने से उनकी आय दोगुनी हो जाएगी?

क्या ये वक़्त है कि परमाणु उपाय बताया जाये या ये वो वक़्त है जब ऑटो सेक्टर से लेकर बैंक सेक्टर में जा रही नौकरियों में आ रही कमी पर चर्चा की जा सके? मगर लगभग सरकारी भोपू में बदल चुका जी न्यूज़ परमाणु बम से बचने के उपाय बता रहा है। ये रिपोर्ट अपने आप में ख़तरनाक है वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि ये जागरूकता कम और आतंकित ज्यादा करती है।

ये महज एक रिपोर्ट नहीं है जिसपर सुधीर चौधरी डीएनए दिखा रहें है। ये एक मुद्दा भटकाव रिपोर्ट है जिससे जनता को ये एहसास ही ना हो की देश की आर्थिक स्थिति वाकई बद से बदतर होती जा रही है। क्या डीएनए में नौकरियों को लेकर रिपोर्ट नहीं की जा सकती थी?

ये सवाल नहीं किया जा सकता था कि आखिर अभी कई सरकारी पद पर भर्तियाँ क्यों रुकी हुई। मगर टीवी में हिंदू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद पर डिबेट करने वाले अब परमाणु बम से बचने के उपाय बता रहें है। ये सभी मामलो में एक्सपर्ट तो हो सकते है मगर इंसानियत से कोसो दूर इन्हें सिर्फ सरकार के ही एजंडे पर काम करना होता है क्योंकि इनके हिसाब सबकुछ ठीक होता है।

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