एससी/एसटी एक्ट में हुए बदलाव को लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे दलित युवकों को कई राज्यों में मारपीट का सामना भी करना पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी शासित मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में पुलिस ने दलित युवकों को बेरहमी से पीटा।

उत्तर प्रदेश के शामली और मेरठ में शांतीपूर्ण ढ़ंग से आंदोलन कर रहे दलित युवाओं पर पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर लाठी भांजी। पुलिस की इस बर्रबरता का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसमें साफ देखा गया कि प्रदर्शनकारी शांतीपूर्ण ढ़ंग से सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे थे। लेकिन पुलिस को यह नारेबाज़ी नगवार गुज़री और प्रदर्शन कर रहे दलित युवकों पर लाठियां बरसा दीं।

पुलिस के लाठीचार्ज के बाद प्रदर्शनकारी भड़क गए और आंदोलन हिंसक हो गया। जिसके बाद तोड़फोड़ और आगज़नी जैसी घमनाएं सामने आईं। इन वीडियोज़ को देखने के बाद यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि देशभर में आंदोलन के हिंसक होने के पीछे क्या वजह है। लगभग सभी जगहों पर पुलिस के हस्तक्षेप के बाद ही हिंसा भड़की है।

इन तमाम हिंसक घटनाओं पर नज़र डालें तो एक बात हैरान करने वाली है। जिन राज्यों में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई और जानें गईं वो बीजेपी शासित राज्य हैं। इन राज्यों में हुई हिंसक घटनाओं में पुलिस और हिंदुत्ववादी संगठनों की अहम भूमिका नज़र आती है। इन तमाम राज्यों में पुलिस की प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई। जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए।

पुलिस के बाद आंदोलन को उग्र बनाने में मीडिया की भूमिका को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। दलित प्रदर्शनकारियों के साथ जारी पुलिस की बर्बरता के बावजूद देश के कई बड़े मीडिया संस्थान इसमें भी दलितों की खामी तलाशने में जुट गए। मीडिया दलितों और आदिवासियों के इस आंदोलन को हिंसक और बर्रबर दिखाने में लग गया। आंदोलन को दलितों की गुंडागर्दी बताया जाने लगा।

पत्रिका डॉट कॉम ने दलितों और आदिवासियों को दोषी ठहराते हुए लिखा, ‘ग्वालियर में लगा कर्फ्यू, गुंडागर्दी करने वालों के विरोध में उतरे बजरंग दल के कार्यकर्ता’। इस शीर्षक के साथ ही लिखा, एससीएसटी एक्ट में हुए बदलाव के विरोध में प्रदर्शन करने उतरे दलितों द्वारा मचाये जा रहे उत्पात के विरोध में आरएसएस और बजरंग जल सहित कई हिंदू संगठन उतर आए हैं।

आंदोलन की कुछ सुर्खियां

पंजाब केसरी- SC/ST एक्ट विवाद: राजस्थान-MP में हिंसक हुआ दलितों का प्रदर्शन

इंडिया न्यूज़ डिजिटल- SC-ST एक्ट पर दलित संगठन ने देश भर में बिगाड़े हालात

साक्षी समाचार- SC/ST प्रदर्शन: हिंसा पर उतरे प्रदर्शनकारी, कहीं फूंकी गाड़ी तो कहीं घरों में लगा दी आग

हरिभूमि- दलितों का प्रदर्शन हुआ हिंसक, कई जगहों पर आगजनी और पथराव

रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि दलितों ने इस आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ती को काफी नुकसान पहुंचाया है। भारी तोड़फोड़ और आगज़नी की। बताया जा रहा है कि प्रदर्शन के दौरान ट्रेनों को रोका गया। इससे यातायात प्रभावित रहा। लेकिन सवाल यह उठता है क्या इससे पहले कभी आंदोलन में तोड़फोड़ और आगज़नी की घटनाएं नहीं हुई। क्या कभी आंदोलन के दौरान ट्रेनों को रोका नहीं गया?

जवाब सबको पता है, लगभग सभी आंदोलनों में ऐसा होता रहा है। तो फिर क्या वजह है कि इस आंदोलन को मीडिया हिंसक बता रहा है और पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई कर रही है। जबकि हाल ही में हुए फ़िल्म पद्मावत के खिलाफ करणी सेना के आंदोलन पर इस तरह की न तो मीडिया कवरेज देखने को मिली थी और न ही पुलिसिया कार्रवाई। क्या मीडिया और बीजेपी शासित राज्यों की पुलिस की नज़र में करणी सेना का आंदोलन हिंसक और बर्बर नहीं था?

लेखकः आसिफ़ रज़ा

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