दिन ब दिन चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खो रहा है। जोकि लोकतंत्र के लिए बेहद घातक है।
बीते रोज दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग द्धारा आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों पर आयोग्य करार दिए गए फैसले को वापस लौटा दिया।
हाइकोर्ट ने इस फैसले को दोबारा सुनवाई करने का फैसला सुनाया। चुनाव आयोग ने लाभ के पद का मामला मानकर आप के 20 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया था। जिसपर कई सवाल उठे थे।
ये फैसला जल्दबाजी में किया गया फैसला था। एकतऱफा था जो राजनीतिक बताया गया।
चुनाव आयोग इससे पहले भी अपनी विश्वसनीतया कई बार दांव पर लगा चुका है। कई प्रदेशों के चुनाव से लेकर राज्यसभा के चुनावों में एकतरफा फैसला सुनाकर निशाने पर आ चुका है।
एकतरफ आम आदमी पार्टी मामले में हाइकोर्ट से निराशा। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में राज्यसभा वोटिंग के दौरान विपक्षी दलों की शिकायतें सवाल खड़े कर रही हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अमरीष कुमार ने लिखा कि, यूपी में चुनाव आयोग जीत गया।
इसके बाद उन्होंने दूसरी लाइन में यह भी लिखा कि, चुनाव आयोग अपनी साख मिटटी में मिला रहा है ?
आपको बता दें कि, चुनाव आयोग एक निष्पक्ष,स्वतंत्र संस्था है जो लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए निष्पक्ष चुनाव करवाती है।
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से चुनाव आयोग सहित तमाम निष्पक्ष संस्थाओं के दुरूपयोग के आरोप लग रहे हैँ। जो भारतीय लोकतंत्र के लिए घातक कहे जा रहे हैं।