चुनाव आयोग ने आज कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव तारीखों की घोषणा कर दी है। इस बात की जानकारी 27 मार्च को मीडिया में आई। मगर चुनाव आयोग से पहले इस बारें में गोदी मीडिया ने इस बात की जानकारी दी। चुनावी तारीखों की घोषणा पहले टाइम्स नाउ की फिर उसके बाद बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवी ने इस बारें में जानकारी दी।

हर कोई इस खबर से हैरान था की कैसे चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस से पहले इस बारें में जानकारी टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर दी जाने लगी। एक कर कर सभी ये सवाल उठाने लग गए की आखिर किसी को ये कैसे पता लगा की चुनाव इसी दिन होने है। ये बड़ा सवाल है जिसका जवाब बीजेपी ने चुनाव आयोग में जाकर दिया और अपने आईटी सेल चीफ का बचाव करने केन्द्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी खुद चुनाव आयोग के दफ्तर पहुँच गए।

मुख़्तार अब्बास नकवी ने चुनाव आयोग को सफाई देते हुए मीडिया में चलनी वाली ख़बरों का हवाला दे दिया। मगर क्या नकवी के इस बयान से बीजेपी आरोप मुक्त हो जाएगी? जैसा आज हुआ है ये कोई पहली बार नहीं हुआ है।

इससे पहले बीजेपी चीफ अमित शाह ने त्रिपुरा चुनाव से पहले त्रिपुरा में होने वालों चुनाव की तारीख तो नहीं महीने का ज़िक्र ज़रुरु कर दिया था। शाह ने तब कहा था कि शाह ने आज (02 अक्टूबर को) गुजरात के पोरबंदर में कहा कि दिसंबर के पहले हफ्ते में विधानसभा चुनाव होंगे। हालांकि, चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया था।

मगर इस बार मीडिया भी कटघरे में है क्योकिं जिस तरह से चुनावी तारीख को ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में टीवी स्क्रीन पर चल दिया वो एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। हाल ही हुए कोबरापोस्ट दुवारा स्टिंग से भी यही अंदाज़ा लगता है की मीडिया कैसे एक अजंडे के तहत काम कर रहा है।

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