आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। देश की विकास दर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है। अगर सालाना आधार पर तुलना करें तो करीब 3 फीसदी की गिरावट है। एक साल पहले इसी तिमाही में GDP की दर 8 फीसदी थी।

इसके साथ ही देश के कई अहम सेक्टर्स मंदी की मार झेल रहे हैं। जिनमें ऑटो सेक्टर और टेक्सटाइल सेक्टर प्रमुख हैं। अकेले ऑटो सेक्टर की बात करें तो यहां मंदी के चलते दस लाख कर्मचारियों की नौकरी ख़तरे में है। ख़बरों की मानें तो इस सेक्टर में पिछले चार महीने में 2.5 लाख कर्मचारियों को निकाला जा चुका है। वहीं टेक्सटाइल सेक्टर की हालत तो इतनी ख़राब है कि उसे अख़बार में विज्ञापन देकर सरकार से मदद की गुहार लगानी पड़ रही है।

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मंदी और गिरते विकास दर को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि मौजूदा समय में देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी। जो पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इसपर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं। लेकिन देश के मेनस्ट्रीम मीडिया को इसकी कोई चिंता नहीं है। उसे चिंता है तो बस पाकिस्तान है।

देश के बड़े चैनलों पर अर्थव्यवस्था को लेकर कोई बहस नहीं की जा रही, न सरकार से कोई सवाल किया जा रहा है। चैनलों में बहस पाकिस्तान को कैसे सबक सिखाया जाए इस बात पर हो रही है और इसके लिए सरकार की वाहवाही भी की जा रही है।

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चैनलों से पाकिस्तान को ख़बरदार किया जा रहा है। ख़ुद को देश का नंबर वन बताने वाला चैनल ‘आजतक’ पाकिस्तान को विंग कमांडर अभिनंदन से ख़बरदार करने के लिए ‘दंगल’ कर रहा है। वहीं न्यूज़ 18 के डिबेट शो ‘आरपार’ में ये पूछा जा रहा है कि क्या पाकिस्तान में ग़ैर-मुस्लिम होना गुनाह है?

हैरानी की बात तो यह है कि पाकिस्तान में ग़ैर-मुस्लिमों की सुरक्षा पर चिंता जताने वाले इस शो में शायद ही कभी अपने देश में अल्पसंख्यकों की मॉब लिंचिंग पर इस तरह चिंता जताई गई हो। अब सवाल ये उठता है कि ये चैनल्स आख़िर पाकिस्तान को इतनी फुटेज क्यों दे रहे हैं?

क्या सच में भारत के लिए पाकिस्तान इतना अहम है, जितना चैनलों ने बना दिया है? या फिर चैनलों से पाकिस्तान का राग अलाप सिर्फ़ इसलिए अलापा जा रहा है ताकि देश के नौजवानों को छद्म राष्ट्रवाद की चिलम पिलाकर उन्हें गिरती अर्थव्यवस्था जैसे अहम मुद्दे से गुमराह किया जा सके।

By: Asif Raza

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