मेनस्ट्रीम मीडिया पर ज़ोर आज़माने के बाद अब मोदी सरकार ने ऑनलाइन मीडिया पर शिकंजा कसने का फैसला लिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने बुधवार को एक समिति बनाई है जो कि ऑनलाइन मीडिया और न्यूज पोर्टल्स विनियमित करने के लिए कानून तय करेगी।

बता दें, कि इससे पहले आईबी मंत्रालय ने फैसला लिया था कि अगर कोई पत्रकार ‘फेक न्यूज़’ फैलाता पकड़ा गया तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। इस फैसला का चौतरफा विरोध हुआ था जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यलय की ओर से इसे रद्द कर दिया गया था।

ऑनलाइन मीडिया के लिए बन रही इस समिति में दस सदस्य होंगे जिसका नेतृत्व सूचना एवं प्रसारण सचिव द्वारा किया जाएगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सचिव के अलावा इस समिति में इलेक्ट्रॉनिक एवं आईटी मंत्रालय, गृह मंत्रालय के सचिव और MyGov. के सीईओ शामिल हैं। लेकिन अभी तक कोई भी दिग्गज पत्रकार का नाम समिति के सदस्य के रूप में सामने नहीं आया है।

मंत्रालय द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार, समिति को “ऑनलाइन मीडिया / न्यूज़ पोर्टल और ऑनलाइन सामग्री प्लेटफॉर्म के लिए उपयुक्त नीति तैयार करने की सलाह देनी होगी।

गौरतलब है कि सोशल मीडिया वर्तमान में समाचार पाने का बड़ा माध्यम बन चुका है। भक्ति में डूबे मेनस्ट्रीम मीडिया से पीड़ित जनता न्यूज़ पोर्टल पर सच्ची खबरें पढ़ना पसंद कर रही है। सोशल मीडिया पर इन ख़बरों के फैलने से मोदी सरकार की नाकामी सामने आती रही है। इसलिए अब सरकार इसको नियंत्रित करना चाहती है।

इसमें डिजिटल प्रसारण को भी मिलाया गया है, जिसमें मनोरंजन / इंफोटेंमेंट और न्यूज / मीडिया एग्रीगेटर शामिल हैं।” इन माध्यमों के लिए नियमों की सिफारिश करने से पहले समिति को एफडीआई मानदंड, केबल टेलीविजन नेटवर्क एक्ट, प्रेस काउंसिल द्वारा जारी किए गए मानदंड, न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन द्वारा बनाए गए कोड ऑफ एथिक्ट, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन द्वारा इलैक्टोनिक मीडिया के लिए निर्धारित किए गए मानदंडों को ध्यान पर रखना होगा।

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