महाराष्ट्र में एक सोसाइटी और सरकार से जुड़ा कथित घोटाले का मामला सामने आया है। इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मुख्य आरोपी बताया गया है और साथ ही मामले में आरएसएस के मोहन भागवत का नाम भी जुड़ा है।

मामला एक सोसाइटी और उसको आवंटित प्लॉट से जुड़ा है। नितिन गडकरी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक सोसाइटी शुरू की। फिर उसे सरकार से जोड़ा गया। सरकर ने उसे ज़मीन दी।

इसके बाद सोसाइटी कुछ साल के लिए निष्क्रय रही और फिर अचानक उस ज़मीन को नितिन गडकरी की कंपनी को ट्रांसफर कर दिया गया और कंपनी ने ज़मीन गिरवी रख करोड़ों की रकम जुटा ली।

अब अगर बैंक पैसे ना मिलने पर ज़मीन पर कब्ज़ा भी करता है तो ज़मीन तो पहले ही सरकार की है। नितिन गडकरी का कोई नुकसान नहीं होगा।

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नागपुर स्थित चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में एक याचिका दायर की गयी है जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उनके बेटों पर धोखाधड़ी, फ्राड और 420 का आरोप लगाया गया है।

याचिकाकर्ताओं ने शेयरधारकों की जो सूची संलग्न की है उसमें आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत का नाम भी सोसाइटी के शेयरधारकों में शामिल है। साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और उनके भाई का नाम भी इस सोसाइटी के शेयरधारकों में है।

7 अगस्त, 2018 को पेश इस याचिका में अदालत से इनके समेत कई दूसरे लोगों के खिलाफ इससे जुड़ी विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कर मुकदमा चलाने की मांग की गयी है।

संस्थापक नितिन गडकरी ने इसके शेयरधारकों को कथित तौर पर धोखा दिया है। याचिका को 72 वर्षीय भगवादास राठी और 62 वर्षीय अजय नाम के दो व्यक्तियों ने दायर किया है।

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1988 में पोलीसैक इंडस्ट्रियल कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के नाम से एक सोसाइटी गठित की गयी। नितिन गडकरी के प्रमोटरशिप में इसमें कुल 1330 लोग शेयर धारक थे, जिसमें याचिका दायर करने वाले भगवानदास राठी भी एक शेयर धारक थे।

इस बीच महाराष्ट्र सरकार द्वारा सोसाइटी को 24.77 लाख रुपये दिए गए। याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार भी इस सोसाइटी का एक शेयर होल्डर बन गयी। इसी क्रम में सोसाइटी को महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमआईडीसी) की ओर से 4950 वर्ग मीटर का प्लाट 20 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से एलाट कर दिया गया। जिसका एक रुपये प्रतिवर्ग मीटर के हिसाब से सालाना किराया था।

भगवान दास राठी की याचिका के मुताबिक 2003 के बाद सोसाइटी ने काम करना बंद कर दिया। 23 सितंबर 2016 को भगवान दास ने एक आरटीआई डालकर सोसाइटी की स्थिति के बारे में एमआईडीसी से जानकारी चाही। जिसमें पता चला कि 2012 में सोसाइटी के प्लाट को पूर्ति सोलर सिस्टम प्राइवेट, लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि पूर्ति सोलर सिस्टम नितिन गडकरी की निजी कंपनी है। आरोप है कि इसी प्लाट को गिरवी रखकर सारस्वत बैंक से मेसर्स जीएमटी माइनिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए 42.83 करोड़ रुपये का कर्ज ले लिया जाता है।

याचिकाकर्ता के मुताबिक जीएमटी के मालिकान में नितिन गडकरी के दोनों बेटे निखिल एन गडकरी और सारंग एन गडकरी शामिल हैं।

इस सिलसिले में भगवान दास राठी ने रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसाइटी के पास आरटीआई डालकर जानकारी मांगी। इसके जवाब में उन्हें 8 मार्च 2017 को बताया गया कि “प्लाट नंबर जे-17, एमआईडीसी, हिंग्ना नागपुर के ट्रांसफर या फिर उसके सारस्वत कोआपरेटिव बैंक, नागपुर को गिरवी रखे जाने की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।”

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इसके अलावा उसमें बताया गया कि सोसाइटी के पास प्लाट की कीमत को जमा करने की सूचना नहीं है और कोआपरेटिव सोसाइटी से किसी तरह की अनुमति भी नहीं ली गयी।

भगवान दास के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट डिप्टी रजिस्ट्रार ने 19 अक्टूबर 2016 को उन्हें बताया था कि कोआपरेटिव सोसाइटी से जुड़ी फैक्ट्री मार्च 2003 में ही बंद हो गयी थी। 31 मार्च 2003 के बाद सोसाइटी की कोई वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा सोसाइटी द्वारा इकट्ठा की गयी 24.77 लाख रुपये की भी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।

इसके पहले भगवानदास राठी ने आर्थिक अपराध शाखा यानी ईओडब्ल्यू में की गयी अपनी शिकायत में उन्होंने कहा था कि ऊपर की स्थितियों को देखते हुए ये साफ तौर पर कहा जा सकता है कि उनके जैसे शेयरधारकों के साथ धोखाधड़ी की गयी है। इसके साथ ही प्लाट को पूर्ती सोलर सिस्टम को ट्रांसफर करने से पहले सरकार की अनुमति का न लिया जाना भी उसी श्रेणी में आता है।

भगवान दास का कहना है कि एक दूसरी कंपनी जीएमटी माइनिंग एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड को सारस्वत बैंक द्वारा तकरीबन 43 करोड़ रुपये दे दिए जाते हैं। और ये सब कुछ लेन-देन सोसाइटी के आम सदस्यों के बगैर लेन-देन के होती है। उन्होंने कहा कि गडकरी और उनके परिवार ने मिलकर न केवल धोखाधड़ी और चीटिंग की बल्कि एक बड़ी राशि को वो हजम भी कर गए।

आरटीआई और सोसाइटी से जुड़ी जानकारियों की प्रतिलिपियाँ नीचे दी गयी हैं।

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