प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने ‘आयुष्मान भारत जन अरोग्य योजना’ को लागू किया मगर ज़मीन पर आते ही ये योजना पहली ही बार में विवादित हो गई।
क्योंकि कुछ दिनों पहले झारखंड में डायरिया से पीड़ित एक वृद्ध महिला की कार्ड न होने चलते मौत हो गई वहीँ अब यूपी की राजधानी लखनऊ में एक गरीब का आयुष्मान कार्ड न होने से इलाज में देरी हुई।
दरअसल शाहजहांपुर से तिलहर निवासी 28 साल के कमलेश तीन दिन पहले करंट के चपेट में आ गए थे। उन्हें फ़ौरन जिला अस्पताल ले जाया गया बाद में लखनऊ के केजीएमयू रेफेर कर दिया गया। जिसके बाद जब डॉक्टरों ने उन्हें डिजास्टर वार्ड में भेज दिया।
इसके बाद जब कमलेश के परिवार ने मुफ्त इलाज की मांग की तो डॉक्टर पर उसपर बुरी तरह से भड़क उठे और कहा यहां फ्री में इलाज नहीं होता है, जाओ पहले मोदी से पैसे लेकर आओ फिर इलाज करेंगें।
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मौके पर तिलहर के विधायक रौशन लाल अस्पताल पहुंचे तब जाकर ज़रूरी कागजी कार्यवाई की और इलाज शुरू हुआ लेकिन इसके बाद बाद भी पांच हज़ार रुपए की दवा बाहर से ही खरीदनी पड़ी।
राजधानी लखनऊ में ही जब गरीब से आयुष्मान कार्ड न होने के कारण डॉक्टर जब इलाज करने से ही मना कर दें तब अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सरकार की हर योजना कैसे ज़मीन पर सफल हो पाती होगी। वो भी तब, जब पीड़ित परिवार के पास आयुष्मान कार्ड भी हो।
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गौरतलब है कि पीएम मोदी ने इस योजना को लागू करते हुए कहा था कि मेरे देश के किसी गरीब के सामने ऐसी स्थिति नहीं आए कि उसे अस्पताल जाना पड़े, अगर वो अस्पताल जाते भी है तो उन्हें सरकारी अस्पतालों में अमीरों जैसा लाभ मिलेगा।
मगर पीएम मोदी ये बताना भूल गए कि कार्ड नहीं होने की सूरत में या कागजी कार्यवाई पहले होगी या फिर मरीज को पहले भर्ती किया जायेगा। क्योंकि कार्ड न होने पर या होने बावजूद दवा जब बाहर से लेनी पड़े तो सरकार की ऐसी योजना का फायदा क्या होगा।