अलीगढ़ एनकाउंटर केस में नए ख़ुलासे सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस ने इस केस की जो रिपोर्ट डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) को भेजी है वो एफ़आईआर से जुदा है।

न्यूज़18 की ख़बर के मुताबिक, पुलिस ने एफ़आईआर और डीजीपी को भेजी गई रिपोर्ट्स में एनकाउंटर की अलग-अलग थ्योरी बताई है।

20 सितंबर को हुए इस एनकाउंटर में पुलिसकर्मी के ज़ख़्मी होने की दो कहानी बताई गई है। डीजीपी को भेजी रिपोर्ट में बताया गया है कि थानाध्यक्ष पाली मुकीमपुर प्रदीप कुमार को बदमाशों ने उस वक्त गोली मारकर घायल कर दिया था जब चेकिंग के दौरान बदमाशों की गाड़ी रोकी गई थी। जबकि एफ़आईआर में पुलिस ने प्रदीप कुमार के घायल होने की अलग कहानी बताई है।

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एफ़आईआर के मुताबिक, प्रदीप कुमार को गोली खंडहरों में बदमाशों के साथ मुठभेड़ में लगी। एफ़आईआर में कहा गया है कि बदमाश नहर विभाग की खण्डहर पड़ी बिल्डिंग में घुसे हुए थे और जब पुलिस ने उन्हें बाहर निकालने के लिए आसू गैस के गोले दागे तो बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग शुरु कर दी।

बदमाशों की एक गोली श्री प्रदीप कुमार थाना प्रभारी पाली मुकीमपुर के बाएं पैर में घुटना से ऊपर लगी जिससे घायल हो गये।

इतना ही नहीं दोनों रिपोर्टों में मौके से बरामद की गई चीज़ों की संख्या में भी विरोधाभास है। डीजेपी को भेजी गई रिपोर्ट में बरामद किए गए 315 बोर के कारतूस के खोखे की संख्या 17 बताई गई है।

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जबकि एफ़ाईआर के मुताबिक, मौके से एक 315 बोर का तमंचा एक खोखे के साथ मिला, 11 खोखे पास में पड़े मिले और एक 315 बोर की ज़िंदा कारतूस मिली।

हालांकि, पुलिस ने दो रिपोर्टों की बात से इनकार किया है। अतरौली के सर्किल ऑफिसर प्रशांत सिंह ने कहा कि किसी को भी ग़लत या दो तरह की रिपोर्ट नहीं भेजी गई है। सब जगह एक ही तरह की रिपोर्ट भेजी गई है। ये देखने वालों को लग रहा है कि दो तरह की रिपोर्ट है।

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