बाजारवाद नैतिक सवालों पर कैसे सजा देता है, इसका अंदाज़ा हम पुण्य प्रसून बाजपेयी के आजतक से निकले जाने से पता लगता है। मीडिया वेबसाइट की खबरों की माने तो देश का नंबर वन कहा जाने वाले न्यूज़ चैनल ‘आजतक’ ने दस्तक जैसे शो से सरकार से सवाल करने पर पत्रकार को बाहर रास्ता दिखा दिया है।

इसकी जो वजह बताई जा रही है वो है ‘स्वामी रामदेव’ जिनकी आलोचना करना पुण्य प्रसून वाजपयी को भारी पड़ गया। खबर देने वालों की खबर रखने वाले एक वेबसाइट की माने तो बाबा ने आजतक के मालिकों से शिकायत की और कहा कि उनसे कड़े सवाल करने वाले अगर सबक नहीं सिखाया गया तो वो चैनल को दिए जाने वाले सारे विज्ञापन बंद करने देंगे।

फिर क्या था आजतक में हंगामा मच गया आनन-फानन में बैठक कर पुण्य प्रसून बाजपेयी को तलब कर लिया और उनसे जवाब मांगा गया। पुण्य प्रसून बाजपेयी के दस्तक नामक बुलेटिन को भी छोटा कर दिया गया। आखिर में ऐसा माहौल बनाया जाने लगा जिससे पुण्य प्रसून बाजपेयी के लिए काम करना मुश्किल हो गया।

आखिर पुण्य भी इस बात को समझ चुके थें और उन्होंने प्रबंधन को इस्तीफा थमा दिया। सोशल मीडिया पर अकसर हालतों के मुताबिक शायरों की शायरी शेयर करने वाले पुण्य प्रसून वाजपयी ने लिखा गुलज़ार की एक लाइन लिखी उन्होंने लिखा हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले उन को शायद उम्र लगेगी आने में

इसके बाद उन्होंने एक और साहिर की एक लाइन शेयर करते हुए लिखा ‘अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ए मुतरिब.. अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं।’

अब इस लाइन से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है उन्हें कितने दबाव के अंदर काम करना पड़ रहा था और कैसे हालत के बीच उन्होंने मज़बूरी में आजतक को अलविदा कहा जिसकी शुरुआत उन्होंने पत्रकारों के प्रेप्रक एसपी सिंह के साथ किया था।

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