पहले आरबीआई से पैसे मिलने में मोदी सरकार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। मगर जब आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया तभी ये साफ़ हो गया था कि मोदी सरकार जो पैसे आरबीआई से मांग रही है अब उसे वो मिल जायेगा। हुआ भी वही, बीते सोमवार RBI ने केंद्र सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ से ज्यादा का सरप्लस ट्रांसफर करने पर मुहर लगा दी।

दरअसल सोमवार को रिज़र्व बैंक ने एक बोर्ड मीटिंग की जिसमें ये फैसला लिया गया। आरबीआई ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्रीय बोर्ड की बैठक में स्वीकार किए गए रिवाइज्ड इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के मुताबिक सरप्लस ट्रांसफर में साल 2018-19 का 1,23,414 करोड़ रुपये सरप्लस और 52,637 करोड़ अतिरिक्त प्रावधानों से आया पैसा शामिल है।

आरबीआई के इस फैसले पर अब सियासी दल सवाल उठाने लगे है। समाजवादी पार्टी के नेता सुनील सिंह यादव ने सोशल मीडिया पर इस मामले में प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने कहा- आज तक किसी भी सरकार को आरबीआई से ‘बेलआउट पैकेज’ नहीं लेना पड़ा। पहली बार आरबीआई सरप्लस को कोई सरकार इस्तेमाल करेगी। इससे साफ है कि आज देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त है। मोदी सरकार ने इसीलिए आरबीआई में अर्थशास्त्री की जगह सरकारी तोता बैठाया है जिससे मनमाने फैसले ले सके।

बता दें कि इससे पहले इसी पैकेज को लेकर मोदी सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मतभेद हो चुके हैं। इसी तनातनी के बीच ही रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया था। दिसंबर 2018 में गतिरोध के बाद रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क के रिव्यू के लिए आरबीआई और सरकार कमेटी गठित करने पर राजी हुए थे

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