युवाओं में बेरोजगारी की दर 16 प्रतिशत है। ये पिछले 20 सालों में भारत में देखी गई सबसे ज़्यादा बेरोजगारी की दर है। नरेंद्र मोदी 2014 में कई वादों के रथ पर बैठकर सत्ता तक पहुंचे थे।

उन सभी वादों में से दो करोड़ सालाना नौकरियां देने का वादा चुनिंदा आकर्षक वादों में से एक थे। लेकिन दो करोड़ रोजगार सालाना देने के बजाए उनके कार्यकाल में बेरोजगारी 20 साल में सबसे ज़्यादा हो चुकी है।

ये बात अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के सतत रोज़गार केंद्र से इस अध्ययन से जुड़ी एक रिपार्ट कह रही है। इस अध्ययन का नाम स्टेट ऑफ़ वर्किंग इंडिया, 2018 (एसडब्ल्यूआई) है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कई सालों तक बेरोज़गारी दर दो या तीन प्रतिशत के आसपास रहने के बाद साल 2015 में अचानक पांच प्रतिशत पर पहुंच गई। इतना ही नहीं युवाओं में बेरोज़गारी की दर 16 प्रतिशत है। ये पिछले 20 सालों में भारत में देखी गई सबसे ज़्यादा बेरोजगारी की दर है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 में पांच प्रतिशत की बेरोज़गारी दर थी, जो पिछले 20 वर्षों में सबसे ज़्यादा देखी गई है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निजी क्षेत्रों में काम कर रहे लोग बहुत कम वेतन में गुजारा करने पर मजबूर हैं। 82 प्रतिशत पुरुष और 92 प्रतिशत महिलाएं प्रति माह 10,000 रुपये से भी कम कमा पा रहे हैं।

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रिपोर्ट में इस बात पर भी रौशनी डाली गई है कि सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से रोजगार पैदा नहीं हो सकता। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीपी में वृद्धि के परिणामस्वरूप रोज़गार में वृद्धि नहीं हुई है।

अध्ययन में कहा गया है कि जीडीपी में 10% की वृद्धि के परिणामस्वरूप रोज़गार में 1 प्रतिशत से भी कम वृद्धि हुई है। यानि भारत रोजगार रहित जीडीपी की ओर बढ़ रहा है।

  • अदनान अली

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