सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक में सीबीआई विवाद चर्चा में है। राजनीतिक पार्टियां भी इस CBIvsCBI पर अपने ढंग से प्रतिक्रिया दे रही हैं।

बिहार की राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया है कि, ‘अब CBI की भी CBI जाँच करने की नौबत आ गई है। अस्थाना तो मोदी जी के प्रिय हैं। कभी अस्थाना ने उन्हें क्लीनचिट दिया था, अब मोदी जी तो उसे बचाएँगे ही!’

दरअसल CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा और CBI के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने एक दूसरे पर भष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप लगाए हैं।

CBI की लड़ाई में मोदी ‘देवदास’ बन गए हैं, अब देखना है कि देवदास ‘पारो’ को बचाता है या ‘पार्वती’ को

सीबीआई में जारी घमासान को सुलझाने के काम मोदी के करीबी पीके मिश्रा को दिया गया है। मिश्रा पीएमओ में अतिरिक्त प्रमुख सचिव है और 2001 से 2004 तक वे गुजरात में मोदी के मुख्यसचिव थे।

पीके मिश्रा और राकेश अस्थाना दोनों ही एक साथ गुजरात में मोदी के लिए काम कर चुके हैं। दोनों मोदी के करीबी भी हैं। ऐसे में CBI डायरेक्टर आलोक वर्मा की बात कितनी सुनी जाएगी? हालांकि आलोक वर्मा किसी तरह से कमजोर नहीं हैं।

मोदी का तोता ‘राकेश अस्थाना’ खुद जाल में फंस गया है अब विपक्षियों को कैसे फंसाएंगे साहेब?

CBI ने 2002 के गोधरा कांड में नरेंद्र मोदी क्लिनचिट। CBI की जिस SIT ने गोधरा दंगों और साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की जांच की थी उसका नेतृत्व राकेश अस्थाना ने किया था।

1996 में लालू यादव को पहली बार चारा घोटाला मामले में राकेश अस्थाना ने ही गिरफ्तार किया था।

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