आपने फ़िल्म देवदास में पारो और पार्वती के किरदार को देखा होगा। नहीं देख सके तो कोई बात नहीं। सीबीआई में देख लीजिए। सरकार के हाथ की कठपुतली दो अफ़सर उसके इशारे पर नाचते नाचते आपस में टकराने लगे हैं। इन दोनों को इशारे पर नचाने वाले देवदास सत्ता के मद में चूर हैं।

नौकरशाही के भीतर बह रहा गंदा नाला ही छलका है। राजनीति का परनाला वहीं गिरता है जहाँ से उसके गिरने की जगह बनाई गई होती है। चार्जशीट का खेल करने वाली सीबीआई अपने ही दफ़्तर में एफ आई आर और चार्जशीट का खेल खेल रही है। महान मोदी कैलेंडर देख रहे हैं ताकि किसी महान पुरुष की याद के बहाने भाषण देने निकल जाएँ।

मोदी सरकार ने सीबीआई का इस्तेमाल विपक्ष को डराने में किया। इस संस्था ने गोदी मीडिया के लिए बहस के वैध मुद्दे बनाने के लिए कथित रूप से ग़ैर ज़रूरी छापे मारे और केस दर्ज किए गए।

आज तक मध्य प्रदेश के व्यापम और बिहार के सृजन घोटाले का पता नहीं चला। हम सब यह तमाशा देख रहे हैं। अब इसके इतने आदी हो चुके हैं कि इसे रोकना नहीं चाहते।

CBI Vs CBI: आलोक वर्मा ने PM को लिखा पत्र, कहा- घूसखोरी के आरोपी अस्थाना को सस्पेंड किया जाये

इसलिए जब कांग्रेस नाम से देखते देखते मन भरा तो अब महान मोदी के नाम से देख रहे हैं। नाला तब भी बहता था। नाला ही अब भी बह रहा है।

इस सरकार में महान सिर्फ मोदी नहीं हैं। राकेश अस्थाना भी महान हैं। ट्विटर पर उनका एक वीडियो देखकर लगा कि अस्थाना सत्ता के खेल में लंबे समय तक रहे हैं। सत्ता के देवदास का उनके सर पर हाथ रहेगा। जब हाथ रहेगा तो फिर क्या राज्यपाल और क्या मंत्री, बन ही जाएँगे।

इस वीडियो को आप ज़रूर देखे। एक नागरिक के रूप में ख़ुद को शिक्षित करने के लिए। इसमें सरदार पटेल, नेताजी और राम मनोहर रॉय की तस्वीर आती है और फिर आता है महान अस्थाना का जूता। जैसे हर थर्ड क्लास फ़िल्म में पुलिस अफ़सर की एंट्री जूते से होती है।

राहुल ने अस्थाना को बताया PM का दुलारा, बोले- इसी रिश्वतखोर ने मोदी को क्लीन चिट दिया था

पर्दे पर पुलिस की वर्दी को देखते देखते अस्थाना अपनी वर्दी को भी हीरो की तरह देखने लगते हैं। घर से आफिस के लिए निकलते वक़्त सरकारी गाड़ी और तामझाम की भी शूटिंग है इस वीडियो में।

क्या अब भी आप सीबीआई पर यक़ीन करेंगे? सीबीआई के वकील कोर्ट में कह रहे हैं कि अस्थाना और गिरफ़्तार डीएसपी के ख़िलाफ़ गंभीर फ्राड, रिश्वत और जाँच के नाम पर वसूली के आरोप है।

प्रधानमंत्री के ख़ास अफ़सर पर मोइन क़ुरैशी केस में क़रीब दो करोड़ के रिश्वत के आरोप हैं। एक डीएसपी गिरफ़्तार हुआ है। अस्थाना के ख़िलाफ़ भी एफ आई आर दर्ज है। उनके वकील ने कहा है कि एफ आई आर अवैध है।

फ़िलहाल गिरफ़्तारी पर रोक लगी है। सीबीआई के दफ़्तर में छापा पड़ा है। अस्थाना और गिरफ़्तार डीएसपी इस एफ आई आर को फ़र्ज़ी बता रहे हैं। सोचिए जब मुख्यालय के नंबर टू की ये हालत है तो बेचारे कितने नेताओं की राजनीति इस संस्था ने बर्बाद की और जाँच को अंजाम तक नहीं पहुँचाया।

‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ का नारा देने वाले मोदी बताएं, CBI घोटाले में कौन-कौन खा रहा है

बहरहाल आप देवदास की पार्वती आलोक वर्मा और पारो अस्थाना का आप डोला रे डोला रे डाँस देखिए। आपको धर्म का नशा देकर राज करने के सारे घृणित कार्य किए जा रहे है।

अब देखना है कि देवदास पारो को बचाता है या पार्वती को। कहानी को बदलने के लिए मीडिया में कौन सा स्टोरी प्लांट करता है ताकि ध्यान बँट जाए और लोग फिर से तमाशा देखने लग जाए।

नोट- यह लेख वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here