भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसान बिजली रेट में कमी, कर्जमाफी, गन्ना की कीमतों समेत कई अन्य मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

यह किसान दिल्ली मार्च के लिए 23 सितंबर को हरिद्वार से चले थे, जो सोमवार को गाजियाबाद में दिल्ली की सरहद तक पहुंच गए।

जब किसान बॉर्डर पर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। आज सुबह जब किसानों ने पुलिस बैरिकेडिंग को पार करने की कोशिश की तो पुलिस ने उनपर लाठियां भांजनी शुरु कर दी।

सत्ता को ग़लतफ़हमी है कि बुजुर्ग लाठियों से डर जाएगा, अरे जुल्मी वो किसान है जो लाठियां बोता है

पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। पुलिस की इस कार्रवाई में कई किसान बुरी तरह घायल हो गए।

पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए लाठीचार्ज की चौतरफ़ा आलोचना हो रही है। विपक्ष इस मामले को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है।

करोड़ों खाकर ‘नीरव-माल्या’ फरार हैं और ‘किसानों’ को मिली मार है, मोदीराज में बागों में बहार है?

साथ ही सोशल मीडिया पर मोदी सरकार के तानाशाही रवैए की आलोचना हो रही है।

किसानों पर लाठीचार्ज के दौरान एक बुजुर्ग द्वारा प्रतिरोध की तस्वीर सामने के बाद हेमंत सिंह परिहार लिखते हैं-

‘सत्ता ने घर के बड़े बुजुर्गों से घर के बच्चों को लड़वा दिया’

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