प्रधानमंत्री मोदी के कारण एक शब्द तेज़ी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है- प्लॉगिंग। ऐसा इसलिए क्यूंकि उन्होंने अपनी एक वीडियो शेयर की जिसमें वो एक बीच पर जॉगिंग करते हुए कचरा उठा रहे थे। इसी काम को प्लॉगिंग कहा जाता है।

इसी वीडियो को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, “आज सुबह मामल्लपुरम के एक बीच पर मैंने 30 मिनटों से ज़्यादा देर तक प्लॉगिंग किया। साथ ही मैंने इकठ्ठा किया हुआ (कचरा) होटल कर्मचारी जयराज को सौंप दिया`। आइए हम सुनिश्चित करें कि हमारे सार्वजानिक स्थान साफ़ सुथरे रहें। हम ये भी सुनिश्चित करें कि हम फिट और सेहतमंद रहें।”

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए मौजूद हैं। उनके इस विडियो की कुछ लोग तारीफ कर रहे हैं तो कुछ लोग उसकी आलोचना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के द्वारा बीच साफ़ करने को तमाम लोग एक अच्छे मेसेज के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्लॉगिंग, यानी की जॉगिंग करते समय सफाई करने, के ज़रिए लोगों को साफ़-सफाई के लिए जागरूक किया है।

लेकिन सोशल मीडिया पर ऐसे भी बहुत लोग हैं जो उनके इस विडियो को मात्र पीआर मान रहे हैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री को अगर एक अच्छा मैसेज देना ही था तो उन्होनें सफाई के लिए ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ का इस्तेमाल क्यूँ किया?

आदर्श देवराज ने ट्वीट कर लिखा, “कचरे को इकठ्ठा करने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल! मोदीजी यहाँ कौन-सा मेसेज देना चाहते हैं? यही होता है जब आप सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए कुछ भी करते हैं।” 

साफ़-सफाई का प्रचार करना यकीनन अच्छी बात है। प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छता अभियान चलाना और भी अच्छी बात है।लेकिन सवाल तब उठते हैं जब प्रधानमंत्री फोटो खिंचवाने के साथ-साथ ज़मीनी हकीकत को छुपाते हैं। जब वो भारत को ‘open defecation free’ घोषित करने से पहले इस खबर पर ध्यान नहीं देते कि दलित बच्चों को मध्य प्रदेश में इसलिए मार दिया गया क्यूंकि वो खुले में शौच कर रहे थे, क्यूंकि उनके घर में शौचालय नहीं था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here