सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी किसी महिला को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया। जब से फैसला आया है तभी से हिंदुत्ववादी संगठों द्वरा इसका विरोध किया जा रहा है।

अब इस मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी अपनी राय रखी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ख़िलाफ़ विरोध का समर्थन किया है।

स्मृति ईरानी ने कहा, “मैं मौजूदा केंद्रीय मंत्री हूं इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकती हूं। मुझे लगता है कि मेरे पास पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का नहीं। और यही वह अंतर है जिसे पहचानने और सम्मान करने की ज़रूरत है”।

उन्होंने आगे कहा, “क्या आप महावारी के खून से सने सेनेटरी नेपकिन को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? आप नहीं जाएंगी। तो फिर भगवान के घर क्यों जाना चाहती हैं? यही वह अंतर है”।

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बता दें कि हिंदुत्ववादी संगठन मंदिर के अपमान का ही हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सभी आयु की महलिओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी थी।

स्मृति ईरानी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके उन बयानों को याद किया जा रहा है, जो उन्होंने ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और मुंबई की दरगाह हाजी अली के परिसर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिया था।

ईरानी ने ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और हाजी अली में महिलाओं के प्रवेश पर कोर्ट की अनुमति के फैसले को महिलाओं की जीत बताया था।

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लेकिन वक्त के साथ ही केंद्रीय मंत्री के सुर भी बदल गए, अब कोर्ट का फैसला उन्हें महिलाओं की जीत नहीं बल्कि मंदिर का अपमान लगता है। स्मृति ईरानी के इसी यू टर्न पर एक ट्विटर यूज़र ने प्रतिक्रिया दी है।

अनाहत नाम के यूज़र ने लिखा, “वाह! स्मृति ईरानी मंत्री साहिबा, ट्रिपल तलाक़ और हाजी अली पर महिलाओं की जीत बताने वाली आज आप का ये कथन आप के डबल स्टैंडर्ड को ज़ाहिर करता है”।

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