देश में बैंकिंग घोटाले ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसके बावजूद सरकार की ओर से इन घोटालेबज़ों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक ने 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया था। ये लोन बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर की मदद से लिया गया और बाद में इसे एनपीए घोषित कर दिया गया।

वीडियोकॉन ग्रुप की पांच कंपनियों को अप्रैल 2012 में 3250 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। ग्रुप ने इस लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपये नहीं चुकाए। इसके बाद लोन को 2017 में एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया गया।

आरोप है कि वीडियोकोन के मालिक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर को इस सब के लिए फायदा पहुँचाया। इसीलिए पहले धूत को आसानी से लोन मिल गया और उसे न चुकाने पर वो लोन एनपीए घोषित हो गया। एनपीए बैंक के ऐसे लोन होते हैं जिनके वापस आने की उम्मीद नहीं होती और उन्हें बट्टे खातों में डाल दिया जाता है। कई बार ये माफ़ भी हो जाते हैं।

मोदी सरकार पर सवाल

इस मामले में भी मोदी सरकार पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। मार्च 2016 में, आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकोन में इन्वेस्टर अरविन्द गुप्ता ने इस बैंक घोटाले के बारे में प्रधानमंत्री कार्यलय (पीएमओ) को पत्र लिखा था। इसके बावजूद आज एक साल बाद भी वीडियोकोन या चंदा कोचर पर कोई सख्त कार्रवाई सरकार की और से सामने नहीं आई है।

बता दें, कि नीरव मोदी के पंजाब नेशनल बैंक घोटाला सामने आने के एक साल पहले इस घोटाले के बारे में भी पीएमओ को पत्र लिखा गया था। लेकिन मोदी सरकार की ओर कुछ नहीं किया गया। जिसके बाद नीरव मोदी देश के बैंकों को चूना लगाकर भाग गया।

कैसे पहुँचाया चंदा कोचर को फायदा

वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ मिलकर एक कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाई। इसमें कोचर के परिवार और धूत की हिस्सेदारी 50-50% की थी। दीपक कोचर को इस कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया।

जनवरी 2009 में धूत ने इस कंपनी में डायरेक्टर का पद छोड़ दिया। उन्होंने ढाई लाख रुपए में अपने 24,999 शेयर्स भी न्यूपावर में ट्रांसफर कर दिए। मार्च 2010 में धूत ने न्यूपावर कंपनी को अपने ग्रुप की कंपनी सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 64 करोड़ रुपए का लोन दिया।

इसके बाद धूत ने नवंबर 2010 में, कोचर की न्यूपावर कंपनी को लोन देने वाली सुप्रीम एनर्जी में अपनी हिस्सेदारी महेशचंद्र पुंगलिया को दे दी।

पुंगलिया ने नवंबर 2010 में धूत से मिली सुप्रीम एनर्जी कंपनी की हिस्सेदारी दीपक कोचर की अगुआई वाले पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी। पुंगलिया ने कंपनी में अपने 94.99% शेयर्स महज़ 9 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिए गए। इस तरह सुप्रीम एनर्जी से मिले 64 करोड़ रुपए के लोन के मायने नहीं रह गए।

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