रिज़र्व बैंक और मोदी सरकार में तकरार की खबरों ने सियासी गलियारे में एक बार फिर हलचलें पैदा कर दी है। जिस तरह से डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने सरकार पर आरबीआई के कामों में दखल देने की बात कही।

उसे देख लगता है कि अब सीबीआई के बाद आरबीआई भी मोदी सरकार के दबाव में काम करना नहीं चाहती है। केंद्र की मोदी सरकार इस मामले को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, “सीबीआई के बाद अब आरबीआई की बारी है। सरकार पर देश की संस्थाओं को बर्बाद करने का भूत सवार है। अब लोग हमारी संस्थाओं के ख़िलाफ़ सर्जिकल स्ट्राइक से जाग चुके हैं”।

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वहीं, सीपीआईएम नेता सीताराम येचूरी ने इस मामले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्विटर के ज़रिए कहा, “किसी की नहीं सुनी। सिर्फ़ जुमला कसना और लोगों से झूठे वायदे करना मोदी सरकार का उद्देश्य है।

आर॰बी॰आई॰ के पूर्व गवर्नर की राय के ख़िलाफ़ नोटबंदी लागू कर के अर्थव्यवस्था तहस-नहस कर दी। अब फिर विनाश की ओर”।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने आरबीआई से ब्याज दर कम करने को कहा था मगर ऐसा हुआ नहीं। आरबीआई का कहना है कि जिस तरह से सरकार बैंकों से लिए कर्ज को माफ़ कर रही है।

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उसका नतीजा आने वाले समय में खतरनाक साबित हो सकता है। आरबीआई का कहना है कि मोदी सरकार बैंकों के काम में दखल न दे तो ही अच्छा है।

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