देश की सबसे सर्वोच्च जाँच एजेंसी सीबीआई मोदी सरकार में खेल का अड्डा बन गई है। सीबीआई के नंबर एक और नंबर दो अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार को लेकर घमासान मचा हुआ है।

इस बीच बुधवार को मोदी सरकार के दो केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस करके इस विवाद पर सरकार का पक्ष रखा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि, “सीबीआई में विचित्र और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है। दो वरिष्ठ डायरेक्टर पर सवाल उठे हैं। इसकी जाँच कौन करेगा यह सरकार के सामने सवाल है। ये केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और न ही सरकार इसकी जाँच करेगी, सरकार इस मामले में दखल नहीं देगी!”

अरुण जेटली ने ये भी कहा कि, इस मामले में सरकार की कोई भूमिका नहीं है और न ही सरकार इसमें किसकी भूमिका को अदा करने की दिशा में देख रही है! जबकि मोदी सरकार की इस मामले में साफ भूमिका दिखाई दे रही है।

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अरुण जेटली का झूठ यही पकड़ में आ गया कि एक तरफ अरुण जेटली कह रहे हैं कि सरकार इस मामले में दखल नहीं देगी, लेकिन मोदी सरकार ने ही दूसरी तरफ रातों-रात डायरेक्टर अलोक वर्मा और पीएम मोदी के प्रिय स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया है। यानि मोदी सरकार का इस केस में सीधा दखल है।

तीसरी बात यह है कि सीबीआई के अधिकारियों की नियुक्ति केंद्र सरकार ही करती है। आलोक वर्मा केंद्र शासित आईपीएस अधिकारी हैं तो वहीं राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के अधिकारी हैं, अस्थाना को अमित शाह और पीएम नरेन्द्र मोदी का करीबी माना जाता है। दोनों अधिकारीयों को सरकार ने बुलाकर सीबीआई में जगह दी थी।

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सभी को हैरान करते हुए आधी रात 2 बजे ही मोदी सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया। डायरेक्टर आलोक वर्मा की जगह एम नागेश्वर को नया अंतरिम डायरेक्टर बना दिया गया है।

नए डायरेक्टर एम नागेश्वर अधिकारियों को इधर उधर कर रहे हैं! जबकि मामले के बाद राकेश अस्थाना के हाई कोर्ट जाने के बाद कोर्ट ने कहा था कि 29 अक्टूबर तक कोई कुछ नहीं करेगा। इसके बावजूद सरकार सीबीई में दखल दे रही है। लेकिन अरुण जेटली कह रहे है कि सरकार इस मामले में दखल नहीं देगी!

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बता दें की सीबीआई मामले की जाँच अब सरकार एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) से करवाएगी। जबतक एसआईटी इसकी जाँच पूरी नहीं कर लेती तबतक इन दोनों अधिकारियों को इनके काम से मुक्त कर दिया गया है। वहीं जेटली ने बताया कि सरकार दोनों अधिकारीयों में से किसी को दोषी नहीं मान नहीं है।

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