पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। इसके साथ ही चुनाव आयोग पर सवाल उठना शुरू हो गए। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग ने चुनावी तारीखें बताने के लिए वक़्त में बदलाव कर दिया।

कई लोगों को फर्क न पड़े की क्या हुआ जो चुनाव आयोग ने 12:30 बजे की जगह 3 बजे प्रेस कांफ्रेंस की मगर राजनीति में सही वक़्त का इंतजार होता है चाहे उसके लिए संस्थानों को निर्देश क्यों न देना पड़े।

अब सवाल उठता है कि क्या वाकई चुनाव आयोग निष्पक्ष है? तो फ़िलहाल मौजूदा हालातों को देखते हुए तो ऐसा नहीं लगता है। क्योंकि वक़्त बदलने से कई चीजें एक साथ बीजेपी के पक्ष में आ गई।

PM की रैली की वजह से चुनाव आयोग ने वक्त बदला, रवीश बोले- सेवक बनकर काम कर रहा है ‘आयोग’

जैसे पीएम मोदी ने अजमेर में रैली करते हुए राजस्थान में मुफ्त बिजली देने का वादा किया। क्योकिं अगर चुनाव की तारीख का ऐलान हो जाता तो ये वादा नहीं हो पता और पीएम मोदी का राजस्थान जाना व्यर्थ चला जाता।

वहीँ दूसरी तरफ जहां पीएम मोदी नहीं पहुंचे वहां भी बड़ा ऐलान हुआ। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने फ़ौरन मौके पर चौका मारते हुए 295 किलोमीटर की नव रेलवे नेटवर्क के लिए 6 हज़ार करोड़ लगाए जाने की घोषणा कर दी। इन घोषणाओं के कुछ मिनटों बाद ही चुनावों की घोषणा हो गई और आचार संहिता लागू हो गई।

BJP को ना तो ‘स्वतंत्र’ में भरोसा है और ना ‘निष्पक्ष’ में, इसलिए EC जैसी संस्थाओं का गला घोंट रही है

सबसे पहले छत्तीसगढ़ में चुनाव होंगें जोकि पिछले 14 सालों से बीजेपी शासित राज्य है। छत्तीसगढ़ के बाद एक बीजेपी शासित प्रदेश मध्यप्रदेश की बारी आएगी जहां बीजेपी और कांग्रेस में एक कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है तो बीजेपी अपनी पूरी ताकत इन दो राज्यों में झोंक देगी।

अब जब इन राज्यों से गोदी मीडिया की मदद से चलाए जाने वाले सर्वे और मीडिया में कथित रूप से मोदी लहर चलाई जाने लगेगी, तो उसके बाद राजस्थान रण में बीजेपी कांग्रेस से दो दो हाथ करेगी जहां कांग्रेस कमजोर नज़र आएगी।

क्योकिं बाकी के दो राज्यों से बीजेपी की हवा बनाई जा चुकी होगी। ये सब मात्र एक सहयोग नहीं हो सकता, तरीकों से खेलने में एक बात और उजागर हुई की पहली बार मध्य प्रदेश का चुनाव छत्तीसगढ़ के बाद होगा। अब इसके बाद भी चुनाव आयोग को निष्पक्ष कैसे माना जा सकता है।

गनीमत है कि इसबार ‘चुनाव आयोग’ ने तारीखों की घोषणा की है, BJP IT सेल ने नहीं : कांग्रेस

क्योंकि मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने पत्रकारों के बिना सवाल पूछे ही सफाई पेशी की, पत्रकार वार्ता के समय बदलने से बीजेपी रैली की भूमिका नहीं तो शक तो पैदा होता।

अगर इतनी सेटिंग करने के बाद भी चुनाव आयोग और सरकार ये समझती है कि किसी को कुछ पता नहीं चलेगा तो उसे ये बात समझनी चाहिए लोकतंत्र में पब्लिक है जो सबकुछ जानती है।

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