राफेल डील की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में होगी। इस मामले पर याचिका दायर करते हुए कहा गया है कि कोर्ट को केंद्र सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट मांगनी चाहिए।

वहीं इस मामले पर अब आप आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने राफेल डील में हुई गड़बड़ियों को लेकर एक याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने मंत्री द्वारा दिए गए जवाब को झूठा बताया है और कहा कि उन्होंने मुझे झूठा जवाब क्यों दिया इसका जवाब दें।

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संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि, राफ़ेल रक्षा सौदे में हुए लगभग 36 हज़ार करोड़ के महाघोटाले के ख़िलाफ़ आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल किया, 540 करोड़ का राफ़ेल 1670 करोड़ में क्यों ख़रीदा?

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गौरतलब हो कि राफेल डील में हुई गड़बड़ी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ साथ आप सांसद संजय सिंह भी सवाल उठाते रहें है।

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ऐसे में उनकी याचिका पर मोदी सरकार क्या जवाब देती है ये देखना है। मगर उससे पहले राफेल डील पर उठ रहे सवालों पर पीएम मोदी समेत उनका पूरा मंत्री मंडल बैकफूट पर है।

क्या है विवाद

राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।

बता दें, कि इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल विमानों को 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 526 करोड़ थी।

इनमें से 18 विमान तैयार स्थिति में मिलने थे और 108 को भारत की सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), फ्रांस की कंपनी ‘डसौल्ट’ के साथ मिलकर बनाती। अप्रैल 2015, में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फ़्रांस यात्रा के दौरान इस डील को रद्द कर इसी जहाज़ को खरीदने के लिए में नई डील की।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई डील में एक विमान की कीमत लगभग 1670 करोड़ रुपये होगी और केवल 36 विमान ही खरीदें जाएंगें।

क्योंकि 60 हज़ार करोड़ में 36 राफेल विमान खरीदे जा रहे हैं। नई डील में अब जहाज़ एचएएल की जगह उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी ‘रिलायंस डिफेंस लिमिटेड’ डसौल्ट के साथ मिलकर बनाएगी।

जबकि अनिल अंबानी की कंपनी को विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं है क्योंकि ये कंपनी राफेल समझौते के मात्र 12 दिन पहले बनी है। साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर भी नहीं होगा जबकि पिछली डील में टेक्नोलॉजी भी ट्रान्सफर की जा रही थी।

2 COMMENTS

  1. स्पस्ट है कि 36 राफेल की सौदा हुई ह। प्रत्येक राफेल 1100 करोड़ अधिक में तय किया गया ताकि लगभग 3600 करोड़ अनिल अंबानी को अधिक पेमेंट कर उनसे अगला चुनाव में फंडिंग कराया जा सके। नकली राष्ट्रवाद का एक और उदाहरण। जनता देख रही ह

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