एमजे अकबर विदेश राज्यमंत्री पद से हट चुके हैं। यौन उत्पीड़न के आरोपों में लिप्त अकबर पर मोदी सरकार ने एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की और ही बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले पीएम मोदी ने अपना मौन तोड़ा।

इस मामले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी चुप्पी साधे रखी और कुछ न ही बोलना बेहतर समझा।

वही अकबर के इस्तीफे के बाद सोशल मीडिया पर भी एक यूज़र ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा हुआ लिखा, एम जे अकबर का इस्तीफ़ा ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ को ध्यान में रखते हुए नहीं लिया गया है, बल्कि ये इस्तीफ़ा महिलाओं के गुस्से से ‘बीजेपी बचाओ’ के अंतर्गत लिया गया है।

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आखिर बेटी बचाओ का नारा जो जीवित रखना था। बेहतर होता कि शुरुआत जैसे विवाद हुआ तुरंत दे देना चाहिए था क्यों बेचारे भक्तों के कठिन दिन लाये।

गौरतलब हो कि बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ का नारा मोदी सरकार ने ही दिया ही दिया है। इस नारे के बाद सरकार का महिलाओं पर अत्याचार के मामले पर मौन बढ़ गया जिसे कठुआ से लेकर उन्नाव तक देखा गया और यही रवैया एमजे अकबर मामले में भी हुआ था।

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बता दें कि एमजे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि याचिका पर अब पटियाला हाउस कोर्ट में 18 अक्टूबर सुनवाई की जानी है।

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