कल प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने विपक्ष पर जमकर हमला बोला और कहा कि महागठबंधन स्वार्थ के लिए बन रहा है।
मोदी ने ये भी कहा कि विपक्ष कैसे लोगों को बांटने की कोशिश कर रहा है। मगर पीएम मोदी बोलते हुए भी खामोश रहें उन्होंने कहीं भी इस बात ज़िक्र नहीं किया कि उनके विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर पर जो आरोप लगे उसपर सरकार क्या एक्शन लेगी या ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जाये।
Mahagathbandhan is a failed idea.These parties constantly bicker with each other but come together when there's an opportunity to form govt like we saw in Karnataka.Similar efforts are underway in UP&MP. BJP workers need to make people aware of the background of these leaders: PM pic.twitter.com/lsOFYfMUdV
— ANI (@ANI) October 10, 2018
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब नरेंद्र मोदी यौन उत्पीड़न के मामले पर चुप्पी साधे हुए है। इससे पहले भी कठुआ से लेकर उन्नाव तक मामलों पर उन्होंने आगे आकर ये नहीं कहा कि ऐसे करने वालों हम एक्शन लेंगें चाहे वो हमारे दल से ही क्यों न हो। मगर ऐसा कुछ भी हुआ नहीं आज भी उन्नाव गैंगरेप में लिप्त कुलदीप सिंह सेंगर बीजेपी का ही विधायक है।
‘मुग़लों के पीछे पड़ने वाली BJP, अब अकबर का नाम मिटाने का मौका आया है तो चुप्पी साधे पड़े हैं’
इसे समझना मुश्किल नहीं है कि मोदी यौन उत्पीड़न के मामलों पर बोलते क्यों नहीं। मगर इससे ज्यादा चिंता करने वाली बात ये है उन्होंने ही ‘बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया।
जब भविष्य में मोदी के कार्यकाल को याद किया जायेगा तब इस बात का ज़िक्र ज़रूर होगा कि कैसे उनका ये नारा भी इंदिरा गांधी के ‘गरीबी हटाओ’ नारे की तरह खोखला साबित हुआ।
एमजे अकबर पर जो आरोप लगे हैं वो बेहद गंभीर है जिसे ऐसे खामोश रहकर ख़ारिज नहीं किया जा सकता। क्योकिं दिल्ली में हुए निर्भया केस के बाद मोदी ही वो शख्स थे जिन्होंने जनता से अपील की थी जब वोट देने जाये तो निर्भया को याद करके वोट दें।
MJ अकबर पर चुप्पी साधने वालीं ‘सुषमा’ अगर विपक्ष में होतीं तो अबतक फांसी की मांग कर देती
क्या ये अच्छा नहीं होता कि #metoo जैसी शानदार मुहीम की पीएम मोदी प्रशंसा करते। क्या महिलाओं पर हो रहें अत्याचार पर बोलना सिर्फ मेनिका गांधी का काम है जिन्होंने एमजे अकबर पर भी एक्शन लेने की बात कही।
अगर पीएम मोदी वाकई महिला सुरक्षा पर गंभीर है तो उन्हें ये बात जनता के सामने ज़रूर रखनी चाहिए।
लोकसभा चुनाव के वक़्त जनता को मोदी का बेबाकी अंदाज़ काफी पसंद आया। तभी 31 फीसद लोगों ने उन्हें चुनकर प्रधानमंत्री की कुर्सी सौप दी।
अगर वो सवा सौ करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते है तो उनमें महिलाएं भी आती है जो सालों से मर्दों का शिकार होती चली आ रही है।
अकबर की बजाय अगर शशि थरूर पर आरोप लगते, तो गोदी मीडिया #MeToo #MeToo कर रही होती
पीएम मोदी को चाहिए वो महिला सुरक्षा पर लंदन में नहीं बल्कि भारत में ही उन महिलाओं से बात करें जो यौन उत्पीड़न का शिकार हुई और उन्हें ये भरोसा दिलाए की सरकार चाहे जिसकी हो महिलाओं को अपनी जागीर समझने वालों से सख्ती से निपटेगी सिर्फ भाषण नहीं दिया जायेगा। अच्छा होगा अगर ऐसा हो अगर ऐसा नहीं हुआ तो जनता नारों पर भरोसा करना छोड़ देगी।